परेशान और निराश व्यक्ति – प्रेरणादायक कहानी, प्रेरक कहानी हिंदी में, प्रेरक कहानी छोटी सी,
शिक्षादायक कहानी। आज हम आपको एक प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रहे हैं।
परेशान और निराश व्यक्ति – प्रेरणादायक कहानी
एक आदमी अपनी ज़िंदगी से बहुत परेशान और निराश था। उसे लगता था कि केवल उसकी ही ज़िंदगी में आज नयी-नयी परेशानियां और आफतें आती हैं जिसके कारण वह काफी हताश और निराश रहता था।
एक दिन उसकी हालत देख उसके मित्र ने उसे एक गुरु के पास जाने को कहा और उसे समझाया कि वह केवल एक बार उसके कहने पर गुरूजी से मिलने अवश्य जाये। अपने मित्र की बात का मान रखते हुए वह परेशान व्यक्ति गुरु से मिलने चला गया।
गुरु के पास पहुंचकर उसने गुरु को बताया कि वह काफी परेशान और निराश रहता है। वह ऐसा क्या करे कि वह अपने जीवन की समस्याओं का समाधान कर सके। वह इन परेशानियों के कारण काफी तनाव और अवसाद में भी रहता है।
यह सुन गुरु थोड़ा मुस्कुराये और एक मुट्ठी में नमक लेकर एक गिलास पानी में डाल दिया और उस परेशान व्यक्ति को पिने के लिए दे दिया। व्यक्ति को लगा शायद यह कोई चमत्कारिक दवा होगी जो उसकी सभी समस्याओं को हल कर देगी इसलिए वह उस गिलास के पानी को आंख बंद करके पी गया।
एक मुट्ठी नमक के कारण पानी का स्वाद काफी कड़वा और कसैला हो गया था फिर भी बिना शिकायत करे वह परेशान व्यक्ति उस पानी को पी गया।
यह देख गुरुजी ने उस परेशान व्यक्ति से पूछा कि कैसा स्वाद था पानी का ? व्यक्ति ने कहा काफी कड़वा और खारा स्वाद था।
यह सुन गुरु ने पूछा कि जब स्वाद इतना कड़वा और खारा था तो फिर पानी क्यों पिया ? इस पर व्यक्ति ने जवाब दिया कि मुझे लगा यही मेरे दुखों और समस्याओं का समाधान है इसलिए पी लिया।
गुरु जी उसे नजदीक ही स्थित सरोवर के पास ले गए, जिसका पानी एक दम साफ़ था। गुरु जी ने उसमें एक मुट्ठी नमक डाल दिया और उस पानी को उस व्यक्ति को पीने के लिए कहा। व्यक्ति ने थोड़ा सा पानी पी लिया।
फिर गुरु जी ने पूछा कि पानी कैसा था ? व्यक्ति ने कहा कि पानी तो बहुत ही अच्छा और मीठा था।
यह सुन गुरु जी मुस्कुराये और कहा कि हमारे जीवन में समस्याएं न आएं ऐसा संभव ही नहीं है अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने मन को कितना बड़ा या छोटा करते हैं जैसे छोटे से गिलास में मुट्ठी भर नमक की तरह मन छोटा करके मुसीबत को बड़ा मानकर अपना मन कड़वा करते हैं या तालाब की तरह मन को बड़ा करके मुसीबत को छोटा मानते हैं और मीठा पानी पीते हैं यह सब आप पर निर्भर करता है।
अर्थात यह तो केवल हम पर निर्भर करता है कि हम मुसीबतों को बड़ा समझते हैं या छोटा या केवल छोटी-छोटी समस्याओं को बड़ा मानकर हम समस्याओं को और बढ़ाते हैं। यदि हम अपने विचार सकारत्मक रखें और समस्याओं से परेशान होने की बजाय उन पर सकारात्मक ढंग से कार्य करें तो हम निश्चित तौर पर समस्याओं को हल कर सकते हैं।
और साथ ही तुम जीवन में यह भी पाओगे की कुछ समस्याएं समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाती हैं उसके लिए हमें कुछ करने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती है।
उस परेशान व्यक्ति की गुरु जी की बात समझ आ गयी और वह समस्याओं को बड़ा समझने की बजाय अपने कर्म पर ध्यान देने लगा और एक सकारत्मक जीवन जीने लगा।
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