अहसान फरामोश शेर ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक बार की बात है एक शेर पिंजरे में फँस गया, उसने पिंजरे से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। तभी, उसे बगल के रास्ते से गुज़रता हुआ एक आदमी दिखा। शेर ने उस आदमी से सहायता माँगी और वादा किया कि वह बाहर निकलने पर उसे नहीं खाएगा।
शेर की बात पर विश्वास कर, उस आदमी ने पिंजरा खोल दिया। शेर बाहर आ गया लेकिन बाहर आते ही वह अपना वादा भूल गया। अब वह उस आदमी को खाना चाहता था। वह आदमी घबरा गया और अपनी जान बचाने का तरीका सोचने लगा।
तभी उस आदमी ने सुझाव रखा कि वे अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी की सहायता लेते हैं। वहीं से निकल रहे एक हाथी से उन दोनों ने फैसला करने का अनुरोध किया, वह हाथी बहुत चतुर था।
उस हाथी ने कहा कि उसे उन दोनों की बात ऐसे समझ नहीं आ रही है अतः जो-जो हुआ, वह सब उसके सामने फिर से करके दिखाओ कि शेर कहाँ था उसे किसने और कैसे निकाला आदि-आदि।
हाथी की बात मान शेर फिर से पिंजरे में घुस गया और हाथी के कहे अनुसार, उस आदमी ने जल्दी से पिंजरा बंद कर दिया और उस पर ताला लगा दिया।
इसके बाद वह आदमी और वह हाथी, दोनों वहाँ से भाग निकले और अहसान फरामोश (अहसान को न मानने वाला) शेर फिर से पिंजरे में बंद रह गया और माफ़ी मांगते हुए रोने लगा।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी अपने ऊपर उपकार या एहसान करने वाले का तिरस्कार या नुकसान नहीं करना चाहिए।