कुरूप पेड़ ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – बहुत समय पहले, एक जंगल में बहुत सारे सीधे तने हुए, सुंदर-सुंदर पेड़ थे। उसी जंगल में एक पेड़ अलग-थलग सा था। उसका तना झुका हुआ और टेढ़ा-मेढ़ा था और उसकी डालियाँ भी टेढ़ी-मेढ़ी थीं।
अपनी इस हालत की वजह से वह पेड़ काफ़ी उदास रहता था। जब भी वह दूसरे पेड़ों की ओर देखता, तो आह भरने लगता, “काश, मैं भी बाकी पेड़ों की तरह सुंदर होता। भगवान ने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है।”
एक दिन, एक लकड़हारा उस जंगल में आया। उसकी निगाह उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ पर पड़ी। वह तिरस्कार भरे स्वर में बोला, “ये टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ मेरे किस काम का!” और तब उसने बाकी सारे सीधे और सुंदर पेड़ों को काट डाला।
तब उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ को समझ में आया कि भगवान ने उसे टेढ़ा-मेढ़ा और कुरूप बनाकर उसके साथ कितना अच्छा किया है क्योंकि उसके इसी टेढ़े-मेढ़े आकार की वजह से ही उसकी जान बच पाई।