क्यों चम्मच से नहीं हाथ से खाने को खाना होता है लाभकारी ? – हमारे भारत देश में हाथ से भोजन करने को प्राथमिकता दी जाती है। शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि शरीर जिन पांच महाभूतों (जल, अग्नि, पृथ्वी, आकाश एवं वायु) से बना है वे सभी हाथ की पांचों उंगलियों में मौजूद होते हैं। इस प्रकार हाथ से खाना खाने के दौरान इन सभी पंच महाभूतों को एकजुट करके जब कौर या बाइट बनाकर खाया जाता है तो इससे भोजन ऊर्जादायक बन जाता है।
- चम्मच से खाना खाने पर यह पता नहीं चलता है कि खाये जाने वाली दाल या सब्जी कच्ची है या पकी, गर्म है या ठंडी परन्तु हाथ से खाना खाने को स्पर्श करते ही इसका अनुमान हो जाता है। इन संकेतों के मिलते ही दिमाग पेट को पाचक रस बनाने के संकेत देने लगता है जिससे पेट में खाना पूरी तरह से पच जाता है एवं शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है।
- हाथ से खाना खाने के दौरान भोजन सही ढंग से मिक्स हो पाता है जिससे पाचन संबंधी समस्याओं से दूर रहा जा सकता है। दरअसल हाथ से भोजन को अच्छे से मिक्स करके खाने से आंतों का काम पहले ही हाथों द्वारा हो जाता है। हाथ से खाना खाने से आंतो पर जोर नहीं पड़ता एवं पाचन संबंधी क्रिया भी दुरुस्त रहती है। हाथ से खाना खाने से पेट में कब्ज, अपच एवं बदहजमी जैसी समस्याएं जल्दी नहीं हो पाती।
- हाथ से खाना खाने के दौरान अपनायी जाने वाली सुखासन मुद्रा के कारण भोजन सीधे पेट के द्वारा आंतों तक पहुंचता है जिससे शरीर की स्वाद ग्रंथि और भी सक्रीय हो जाती है। हाथ से खाना खाने से आंतों की सेहत पर भी बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- हाथ से खाना खाने के दौरान हाथ का अंगूठा एवं अन्य उंगलियों के मिलने से जो मुद्रा बनती है उससे शरीर में विशेष रूप से ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
- हाथ से खाना खाने से शरीर सुपोषित होता है। हाथ से खाना खाने के दौरान हाथ, मुंह, पेट एवं दिमाग में एक प्रकार का संबंध बन जाता है। शरीर के आंतरिक संकेतों की मदद से खाना पचता है। इस प्रकार हाथ से खाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
- हाथ से खाना खाने से पहले हाथ धोने पर विशेष ध्यान दिया जाता है जबकि चम्मच से खाना खाने से पहले उपयोग में लिए जाने वाले चम्मच पर जीवाणु होने की संभावना अधिक होती है। हाथ से खाना खाने से हानिकारक जीवाणु मुंह के अंदर आसानी से प्रवेश नहीं कर पाते जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
- भोजन करने से पूर्व उस भोजन को जानना अतिआवश्यक है इसीलिए भौतिक रूप से भोजन को ग्रहण करने पूर्व स्पर्श करना बेहद जरूरी है। भोजन को स्पर्श करने से यह जानने में आसानी होती है कि सामने रखे भोजन का शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। शरीर में निरंतर बदलाव आता रहता है जिसके कारण शरीर में खाने की आवश्यकता भी बदलते रहती है। भोजन को छूकर यह महसूस किया जा सकता है कि सामने रखे भोजन को खाना चाहिए या नहीं।
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