गौरैया, खरगोश और दुष्ट बिल्ली ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – बहुत पुरानी बात है एक घने जंगल में एक गौरैया ने एक पेड़ पर खाली छेद में अपना घर बनाया था। एक दिन गौरैया भोजन की तलाश में निकली और फिर कई दिन तक नहीं लौटी। इस बीच, एक खरगोश वहाँ आया और गौरैया के खाली घर में रहने लगा। खरगोश को वह घर खाली लगा और उसे लगा की यह किसी का घर नहीं है।
काफी दिनों बाद गौरैया लौटी और खरगोश को वहां रहता देख वह खरगोश से बोली की यह घर उसका है इसलिए खरगोश को यह घर खली करना पड़ेगा।
गौरैया की बात सुन खरगोश ने कहा कि हो सकता है तुम यहाँ पहले रहती होगी पर वर्तमान में वह यहाँ रहता है और खरगोश ने वह घर खाली करने से इन्कार कर दिया।
खरगोश की यह बात सुनकर गौरैया बोली कि “चलो किसी से अपनी इस समस्या का फैसला करवाते हैं। वह जैसा कहेगा, हम दोनों वैसा ही करेंगे।”
तभी वहां से गुजर रही एक दुष्ट बिल्ली को उन दोनों के झगड़े के बारे में पता चल गया और वह उन दोनों के पास आ गई। बिल्ली को वहां आया देख दोनों ने बिल्ली से ही अपने झगडे का हल निकालने की बात की और अपने झगड़े के बारे में बताया।
बिल्ली बड़ी मीठी आवाज़ में बोली, “मैं बहुत बूढ़ी हो गई हूँ और मुझे ठीक से सुनाई नहीं देता इसलिए मेरे पास आकर मेरे कान में अपनी बात समझाओ।”
अपनी समस्या का हल निकलवाने के लिए बेचारी गौरैया और खरगोश उस बिल्ली के पास आ गए, तो बिल्ली ने झपटकर दोनों को दबोच लिया और उन्हें मारकर खा गई।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप आपस में लड़ोगे तो आपकी ही शक्ति कम होगी और दूसरे या आपके दुश्मन इस बात का लाभ उठा लेंगे। अतः विवादों से बचें और अपनी सूझ-बुझ से समस्या का हल निकालें।
पढ़ें टुनटुन की सुन्दरता।