झूठा दोस्त और सच्चा दोस्त ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक हिरन और एक कौआ पक्के दोस्त थे। एक दिन कौए ने हिरन को एक सियार के साथ खेलते हुए देखा। कौए ने अपने दोस्त हिरन को समझाया कि सियार पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि सियार बहुत ही चालाक जानवर माना जाता है और वह मौका पड़ने पर हिरन को धोखा देगा।
हिरन ने कौए की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और सियार की मीठी-मीठी बातों में आकर उसके साथ ही ज्यादातर समय खेलने लगा। एक दिन सियार, हिरन को बातों में फंसाकर एक खेत में ले गया।
हिरन, सियार की बातों में आकर खेत में तो चला गया लेकिन हिरन वहाँ लगे जाल में फँस गया। जाल में फंसकर हिरन रोने लगा और सियार से मदद मांगने लगा।
लेकिन सियार ने हिरन से कहा कि “मैं तो किसान को बुलाने जा रहा हूँ। वह आएगा और तुम्हें पीट-पीट के मार डालेगा। फिर वह तुम्हारे मर जाने पर मुझे तुम्हारे गोश्त का हिस्सा देगा।”
हिरन, सियार की ऐसी बातें सुन और जोर से चिल्लाने लगा। कौए ने अपने दोस्त के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो वह तुरंत उसकी सहायता के लिए आ गया और उसने हिरन से कहा कि “वह ऐसे लेट जाए जैसे कि वह सचमुच मर गया हो और किसान के आने पर साँस तक न ले।”
थोड़ी ही देर में, सियार की आवाज़ सुनकर किसान वहाँ आ गया। उसने देखा कि जाल में हिरन तो मरा पड़ा है और किसान ने जाल खोल दिया। जाल खुलते ही हिरन को मौका मिल गया और वह तुरंत उछलकर, वहाँ से भाग गया।
यह देख गुस्साएं किसान ने सियार की पिटाई कर दी और उसे बुरी तरह पीटकर वहाँ से भगा दिया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अच्छे दोस्तों और बुरे दोस्तों में फर्क समझ आना चाहिए नहीं तो हम धूर्त और मीठी जबान वाले दोस्तों की बात में आकर अपना ही नुकसान करा बैठेंगे।