मुर्गी और बाज ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक बाज और एक मुर्गी आपस में बातें कर रहे थे तभी बाज ने मुर्गी से कहा, “तुम सबसे अधिक अहसान फरामोश पक्षी हो।”
मुर्गी ने गुस्से से पूछा “ऐसा क्यों कह रहे हो?”
बाज ने जवाब दिया, “तुम्हारा मालिक तुम्हें खाना खिलाता है लेकिन जब वह तुम्हें पकड़ने के लिए आता है, तो तुम इस कोने से उस कोने तक उड़ने लगती हो। मैं तो जंगली पक्षी हूँ, फिर भी मैं दयालु लोगों का ख्याल रखता हूँ।”
मुर्गी धीरे से बोली, “अगर तुम किसी बाज को आग पर भुनते हुए देखो, तो तुम्हें कैसा लगेगा ? मैंने यहाँ सैकड़ों मुर्गे-मुर्गियों को आग पर भूने जाते हुए देखा है। अगर तुम मेरी जगह होते, तो तुम भी अपने मालिक को कभी अपने पास नहीं आने देते। मैं तो सिर्फ इस कोने से उस कोने तक उड़ती ही हूँ, पर तुम तो पहाड़ियों पर उड़ते फिरते।”
मुर्गी ने फिर कहा “माना की मेरा मालिक मुझे खिलाता-पिलाता है लेकिन वह ऐसा मुझे मोटा तगड़ा बनाके मुझे खाने के लिए करता है ऐसा अगर तुम्हारा मालिक करता तो तुम क्या करते ?”
बाज को समझ आया कि मुर्गी अपनी जगह सही है और जान बचाने के लिए वह जो करती है सही है।
कहानी से शिक्षा
कई बार लोग हमारा साथ या हमारा भला वक्त आने पर हमारा फायदा उठाने के लिए करते हैं अतः हमें ऐसे मतलबी लोगों से सावधान रहना चाहिए।