हाथी राजा और बुद्धिमान खरगोश ( पंचतंत्र की कहानी ) बहुत समय पहले की बात है। हाथियों के राजा गजराज का जंगल में राज था। एक बार बारिश बिलकुल नहीं हुई। उसके राज्य में एक बार सारी झीलें सूख गईं। सारे हाथी गजराज के पास सहायता माँगने आए। वे सब पानी के बिना मरे जा रहे थे।
गजराज ने कहा, “चिंता मत करो! मैं तुम लोगों का राजा हूँ। तुम लोगों की आवश्यकता का ख्याल रखना मेरा कर्तव्य है। तुम लोगों को पानी की कभी कोई कमी नहीं होगी। मैं एक ऐसी गुप्त झील के बारे में जानता हूँ, जो हमेशा पानी से भरी रहती है । चलो, वहीं चलते हैं।”
सारे हाथी उसी झील की ओर चल दिए, लेकिन रास्ते में मिलने वाले खरगोशों को वे अपने पैरों तले रौंदते गए। ये खरगोश वहाँ सैकड़ों सालों से रहते आए थे। सैकड़ों खरगोश मर गए और हज़ारों घायल हो गए। यह देख खरगोश बहुत चिंतित और दुखी हुए।
उनमें से एक खरगोश ने कहा, “हाथी बहुत बड़े और भारी हैं। हम तो उनके सामने चीटियों जैसे हैं। वे तो अब हर दिन पानी के लिए उसी झील की ओर जाया करेंगे और हमें इसी तरह से कुचलते रहेंगे। उनकी तो निगाह तक हमारे ऊपर नहीं पड़ेगी! अगर हमने जल्द ही कुछ नहीं किया तो हम सब मारे जाएँगे। हमें किसी न किसी तरह से हाथियों का झील जाना बंद कराना पड़ेगा या यहाँ से भागना पड़ेगा। समस्या यह है कि वे हाथी भी पानी की कमी से परेशान हैं, इसलिए वे हमारा अनुरोध नहीं मानेंगे।”
उनमें से एक खरगोश बहुत चतुर था, उस चतुर खरगोश ने एक समझदारी भरी योजना बनाई। रात को वह गजराज के पास गया। वह बहुत सतर्क था क्योंकि अगर गजराज गुस्सा हो जाता तो वह सबको मार डालता! उसने तो पूरे आदर के साथ गजराज को प्रणाम किया और बोला, “महाराज, मुझे चंद्रदेव ने भेजा है। यह झील उनकी है और उन्होंने आप लोगों को इस झील का पानी पीने से मना किया है।”
खरगोश की बात सुनकर हाथियों का राजा आश्चर्य में पड़ गया। आश्चर्य में पड़े गजराज ने पूछा “अच्छा! लेकिन तुम्हारे चंद्रदेव हैं कहाँ?”
खरगोश गजराज को उसी झील के पास ले गया और झील में चंद्रमा की परछाई दिखाते हुए बोला, “महाराज, वे रहे चंद्रदेव! वे दिख रहे हैं न?” गजराज ने झील में देखा और विनम्रतापूर्वक जवाब दिया, “हाँ, हाँ, दिख रहे हैं।”
खरगोश बोला “महाराज, अब चुपचाप यहाँ उनको प्रणाम करके चले जाइए। अन्यथा वे अगर नाराज़ हो गए तो आपके और आपकी प्रजा के लिए बहुत बुरा हो सकता है।”
खरगोश की बात पर विश्वास करते हुए, गजराज ने चंद्रमा की परछाई को प्रणाम किया और जल्दी से वहाँ से, चला गया। उसके बाद उस झील पर हाथी कभी नहीं आए और सारे खरगोश अपने-अपने स्थानों पर हँसी-खुशी रहने लगे।
कहानी से शिक्षा
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि बुद्धि का इस्तेमाल करके छोटे से छोटा व्यक्ति भी बड़े से बड़े व्यक्ति को हरा सकता है।अर्थात बुद्धिबल का प्रयोग करके बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।