मजेदार कहानी “चमत्कारी मटके का पानी”- मजेदार कहानियाँ, शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां, मजेदार कहानीयाँ, अच्छी अच्छी कहानियां पढ़ने आप हमारी वेबसाइट पर आते हैं तो आज हम आपको “मटके का पानी” नामक मजेदार और शिक्षाप्रद मजेदार कहानी बताने जा रहे हैं जो एक प्रेरक कहानी और शिक्षाप्रद हिंदी कहानी है।
चमत्कारी मटके का पानी
बहुत समय पुरानी बात है एक तेलंग नामक कस्बे में नामुनि नाम का एक बुजुर्ग रहता था। वह बहुत ही दयालु और साफ़ मन वाला आदमी था, साथ ही वह काफी परोपकारी भी था। गर्मियों का समय था नामुनि बहुत दूर पैदल चलकर एक घड़ा पानी भर कर लाया था, उसका स्वास्थ्य भी कुछ ठीक नहीं था सो वह आराम कर रहा था।
धीरे-धीरे दिन ढल गया और शाम हो गयी अब घड़े में बहुत कम पानी ही बचा था और अब इसी पानी में रात गुजारनी पड़ेगी क्योंकि पानी लेने जाना काफी मेहनत का काम था और अस्वस्थ होने के कारण नामुनि के लिए पानी लेने जाना काफी कठिन था सो वह पानी बहुत ही संभाल के इस्तेमाल करना था।
तभी नामुनि के द्वार पर एक बुजुर्ग आगंतुक आया और नामुनि से पानी पिलाने की गुहार करने लगा। यह देख नामुनि संकट में पड़ गया कि अब कैसे इस समस्या से निदान पाया जाये, पानी पिलाना पुण्य का काम है और पानी के लिए मना किया तो यह पाप होगा और पानी पीला दिया तो फिर से पानी भरने दूर जाना पड़ेगा और इस अस्वस्थ हालत में कहीं भी जाना मुमकिन नहीं है।
धर्मसंकट वाली स्थिति थी लेकिन नामुनि ने पानी पिलाने का निर्णय किया और एक लोटा पानी लाके उस बुजुर्ग को दे दिया। बुजुर्ग भी एक ही साँस में पूरा पानी पी गया और एक लोटा और पानी माँगा। घड़े में बहुत ही कम पानी बचा था। नामुनि को पता था अब तो जरा सा ही पानी बचा है सो नामुनि ने पूरा घड़ा उलट कर लोटा भर दिया।
बुजुर्ग फिर एक ही साँस में पुरा पानी पी गया और नामुनि को धन्यवाद देकर चला गया। अब नामुनि सोच में था कि बिना पानी के रात कैसे कटेगी तभी एक परिचित नामुनि के पास आया और बातें करने लगा तभी उसने नामुनि से पानी पिलाने को कहा तो नामुनि ने बताया की पानी खत्म हो चूका है।
इस पर उस परिचित व्यक्ति ने हंसकर नामुनि से कहा कि क्यों उपहास उड़ा रहे हो पानी से घड़ा तो इतना भरा हुआ है कि पानी घड़े से बाहर रिसकर टपक रहा है और आप कहते हो कि पानी नहीं है। इस पर वह परिचित व्यक्ति उठा और पानी पीकर वहां से चला गया। यह चमत्कार देख कर नामुनि की ऑंखें फ़टी की फ़टी रह गयी।
अभी जो घड़ा उसकी आँखों के सामने खाली हुआ था वह ऐसे कैसे भर गया। लेकिन नामुनि को समझ आ गया की पानी कम होते हुए भी उसने अपने बारे में न सोचकर उस बुजुर्ग आगंतुक की मदद की थी उसी कारण यह चमत्कार हुआ है। अब नामुनि उस घड़े से जितना चाहे पानी निकलता और घड़ा अपने आप भर जाता, अब नामुनि को पानी लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी यह नामुनि के उस अच्छे कर्म का फल था।
कई दिन बीत गए नामुनि अपने घर के बाहर ही बैठा था कि तभी उसने देखा की 4 से 5 लोग एक छोटी सी लड़की को खाट (चारपाई) पर कहीं ले जा रहे हैं वह लोग नामुनि के घर के आगे रुके और पानी माँगा। नामुनि ने देखा की वह छोटी सी बच्ची अचेत अवस्था में पानी-पानी बोल रही है।
नामुनि दौड़कर गया और घड़े से पानी ले आया, बच्ची के पानी पिते ही वह चारपाई से उठ गयी और एक दम ठीक हो गयी सभी यह देख अचंभित रह गए। बच्ची के साथ आये लोगों में से बच्ची का पिता बोला की यह तो चमत्कार हो गया, मेरी लड़की को एक जहरीले सांप ने काटा था और हम इसे उपचार के लिए ले जा रहे थे लेकिन आपके यहाँ का पानी पीकर तो यह एक दम ही स्वस्थ हो गयी आप का बहुत-बहुत धन्यवाद।
यह कहकर वह लोग वहां से चले गए, नामुनि जनता था कि यह चमत्कारी मटके के पानी का कमाल है। धीरे-धीरे पानी के चमत्कार वाली बात आस-पास के गांवों में भी फेल गयी। अब रोज कोई न कोई नामुनि के यहाँ पानी पिने आने लगा। धीरे-धीरे लम्बी-लम्बी कतारें (लाइनें) लगने लगीं। लोग पानी पीकर सही हो जाते और इनाम स्वरूप कुछ न कुछ नामुनि को दे जाते।
अब नामुनि काफी समृद्ध हो चूका था उसका नाम अब मान सम्मान से लिया जाता था। धीरे-धीरे करके समय बीतता गया एक दिन नामुनि के वहां उपचार के लिए आये हुए लोग जा चुके थे तभी एक बुजुर्ग वहां आये और नामुनि से पानी माँगा जैसे ही नामुनि पानी लोटे में भरने को उठा तभी वहां कुछ सैनिक पहुँच गए।
उनमें से एक सैनिक बोला आप में से नामुनि कौन है, नामुनि ने हाथ जोड़कर कहा की मैं हूँ। सैनिक बोला आपको तुरंत हमारे साथ महल चलना है, राजा के पुत्र किसी विषैले जीव के काटने की वजह से मूर्छित हो गए हैं अतः आप अपना चमत्कारी मटका साथ लेकर चलें और राजा के पुत्र को ठीक कर दें।
नामुनि के घर के आगे बैठे बुजुर्ग ने कहा कृपया मुझे थोड़ा पानी पीला दो, नामुनि ने जैसे ही उस बुजुर्ग को पानी देना चाहा सैनिक फिर बोल उठा यहाँ समय व्यर्थ न गवाओं और हमारे साथ चलो यह बुजुर्ग तो कहीं भी पानी पी लेगा लेकिन राजा का पुत्र अगर ठीक हो गया तो तुम्हें मुहं मांगी रकम, हीरे-जवाहरात, भूमि आदि इनाम में मिलेगी मान सम्मान मिलेगा सो अलग अब जल्दी हमारे साथ चलो।
यह सुन नामुनि के मन मस्तिष्क पर मोह सवार हो गया उसने आव देखा न ताव और बिना उस बुजुर्ग आदमी को पानी पिलाये मटका लेकर चल दिया और जैसे ही महल पहुंचकर उसने मटके से पानी निकालना चाहा तो देखा की मटका तो खाली है यह देख राजा को भी गुस्सा आया और उन्होंने कहा की इस धूर्त को उठाकर बाहर फेंक दो इसने हमारा बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया।
सैनिकों ने नामुनि को उठाकर घड़े समेत महल के बाहर फेंक दिया जिसमें उसका घड़ा टूटकर बिखर गया और उसे बहुत पछतावा हुआ की शायद यह वही बुजुर्ग था जो पहले भी नामुनि के द्वार पर आया था जिसके आशीर्वाद से उसका मामूली सा घड़ा चमत्कारी घड़े में बदल गया था लेकिन आज लालच और मान-सम्मान की चाह में प्यासे को पानी न पिलाकर जो पाप किया है उसकी की वजह से यह चमत्कारी घड़ा फिर से एक सामान्य घड़ा बन गया है।
अब नामुनि बहुत पछता रहा था लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था ज्यादा के लालच में जो कुछ भी नामुनि के पास था अब वो भी न रहा तभी कहा है हमारे बुजुर्गों ने की “अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत”।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे पास जितना है हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए और ज्यादा के लालच में किसी का भी नुकसान नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों की सहायता भी करनी चाहिए और अपने कर्म और कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए कभी किसी का अहित न करें और सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहें।
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