जीवन का मूल्य और साधु का ज्ञान – हिंदी कहानी (Hindi Kahani) : एक समय की बात है एक गांव में मल्कू नाम का एक गरीब किसान रहता था, वह अपने जीवन से काफी परेशान और दुखी था एवं सदैव अपने जीवन को कोसते रहता था। साथ ही वह अपने आस पास के लोगों को भी कोसते रहता था क्योंकि कोई उसकी इज्जत नहीं करता था और उससे ठीक से बात नहीं करता था।
लेकिन कुछ लोग मल्कू को पसंद भी किया करते थे जिसमें उसके परिवार वाले और उसका मित्र कालू था। लेकिन मल्कू को गांव के सभी लोगों से मान-सम्मान की आशा थी जो उसे नहीं मिला करती थी। इस बात से मल्कू दुखी रहा करता था। मल्कू का मित्र कालू कई बार मल्कू को समझाता था कि जरुरी नहीं है कि सब तुमको पसंद करें या तुम्हारा सम्मान करें इसलिए उदास न हुआ करो।
परन्तु मल्कू को अपने मित्र कालू की बात से को फर्क नहीं पड़ता था और वह उदास ही रहता था। कालू को समझ आ गया था कि मल्कू को समझाना इतना आसान नहीं है निश्चित ही किसी और की सहायता से ही मल्कू को समझाया जा सकता है। अतः कालू अपने दोस्त मल्कू को लेकर एक सिद्ध साधु के पास ले गया जिनके बारे में उसने सुन रखा था कि वह हर समस्या का समाधान कर सकते हैं।
कालू और मल्कू साधु के पास पहुचें तो साधु ने मल्कू या कालू की कोई बात सुने बगैर ही मल्कू को अपने कमंडल से निकालकर एक चमकदार पत्थर दे दिया और कहा कि इस पत्थर को लेकर यहाँ से जाओ और इस पत्थर की सही कीमत का पता करके मुझे बताओ तब मैं तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा और ध्यान रखना इसकी कीमत कितनी ही क्यों न हो इसे बेचना मत।
मल्कू और कालू ने साधु को प्रणाम किया और वह से चले गए। सबसे पहले मल्कू ने वह चमकदार पत्थर एक सब्जी बेचने वाले को दिखाया और उस पत्थर की कीमत पूछी, सब्जी बेचने वाले ने कहा यह तो काफी अच्छा पत्थर लगता है मैं इसके बदले में मैं तुम्हें 1 किलो टमाटर दे सकता हूँ। मल्कू ने पत्थर वापिस लिया और आगे चल दिया।
फिर मल्कू फल वाले के पास गया और पत्थर की कीमत पूछी तो फल वाले ने कहा कि मैं इस पत्थर के बदले तुम्हें 2 दर्जन केले दे सकता हूँ। मल्कू फिर आगे चल दिया, उसे एक कपडे का व्यापारी दिखा, मल्कू ने उसे भी वह पत्थर दिखाया जिसके बदले कपडे के व्यापारी ने उसे 2 साड़ी, 2 कुर्ता-धोती और 1 रजाई और कम्बल देने की बात कही। मल्कू को लगा कि यह तो अब तक की सबसे ज्यादा कीमत है लेकिन इसे बेचा नहीं जा सकता है तो वह पत्थर वापिस लेकर आगे बढ़ गया।
आगे चलकर मल्कू को एक सोने-चांदी का काम करने वाला सुनार मिला जिसे मल्कू ने साधु का दिया हुआ पत्थर दिखाया तो सुनार की ऑंखें में अजब से चमक आ गयी उसने कहा कि तुम्हें यह शानदार और चमकदार पत्थर कहाँ से मिला यह तो बहुमूल्य है और मैं इसके बदले तुम्हें 10000 सोने के सिक्के दे सकता हूँ। कीमत सुन मल्कू को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि जिस पत्थर के बदले उसे 1 किलो टमाटर और 2 दर्जन केले मिल रहे थे उसकी इतनी कीमत है।
मल्कू ने अपना पत्थर वापिस लिया और वहां से जाने लगा, मल्कू को जाता देख सुनार ने कहा कि रुको मैं इस पत्थर के बदले अधिकतम 1 लाख सोने के सीक्के दे सकता हूँ। यह कीमत जान तो मल्कू की आँखें फटी की फ़टी रह गयीं। इतनी कीमत वो भी इतने मामूली से पत्थर की लेकिन मल्कू चाहकर भी उसे बेच नहीं सकता था तो वह जाने लगा। यह देख सुनार ने कहा कि रुको अगर तुम्हें इससे ज्यादा कीमत चाहिए तो एक काम करो आगे जाकर एक जौहरी की दुकान है वहां चले जाओ वही इससे ज्यादा कीमत दे पायेगा।
मल्कू जौहरी के पास पहुंचा और उसे पत्थर दिखाया उस पत्थर को देख जौहरी को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ और उसने मल्कू से पूछा कि तुम्हें यह नायब रूबी कहाँ से मिला यह तो बहुत ही शानदार और अनोखा है। यह सुन मल्कू ने जौहरी से इस रूबी की कीमत पूछी तो जौहरी ने कहा कि यह तो बेमोल और अनमोल रूबी है इसकी कीमत कितनी हो सकती है यह तो बता पाना मरे लिए भी नामुमकिन है। इस अद्भुत रूबी की तो कीमत दे पाना संभव ही नहीं लगता है।
यह सुन मल्कू ने पत्थर वापिस लिया और साधु के पास पहुंचा। साधु को उसने सब कुछ बताया कि वह कब किसके पास गया और किसने कितनी कीमत बताई। साथ ही बताया कि यह पत्थर अनमोल है जिसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता है। जवाब में साधु ने कहा कि ठीक है मैंने जो कहा वह काम तुमने ईमानदारी से किया है तो पूछो तुम्हारा क्या सवाल है।
मल्कू ने कहा कि साधु महाराज मैं जानना चाहता हूँ कि मेरे जीवन का क्या मोल है। मैं अपने प्रति लोगों के बर्ताव से दुखी हूँ, लोग मेरी इज्जत नहीं करते हैं।
यह सुन साधु ने कहा कि तुम बेवजह ही परेशान हो रहे हो जैसा कि तुमने देखा कि जो पत्थर मैंने तुम्हें दिया सबने अपने-अपने मतलब, बुद्धि, ज्ञान और समझ से अलग-अलग कीमत बताई ठीक इसी प्रकार तुम और तुम्हारा जीवन एक बेमोल और अनमोल रूबी है जिसकी कीमत हर कोई समान नहीं आंक सकता है।
सबकी समझ और आवश्यकता के अनुसार तुम्हारी कीमत अलग-अलग है इलसिए सब तुम्हें समान भाव या एक समान सम्मान दें यह संभव नहीं है, सबकी नजर में तुम्हारी अलग-अलग कीमत है इलसिए लोगों के गलत बर्ताव से परेशान नहीं हुआ करो और जो लोग तुम्हें प्रेम करते हैं और तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव करते हैं उनके भावों का सम्मान करो और खुश रहो।
मल्कू को साधु की बात अच्छे से समझ आ गयी और वह फिर लोगों के गलत बर्ताव से दुखी नहीं रहने लगा और सदैव खुश रहने लगा।
कहानी से शिक्षा –
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आपकी कीमत केवल सही व्यक्ति ही जान सकता है जैसे हीरे और कीमती पत्थर की कीमत केवल जौहरी ही जान सकता है उसी प्रकार आपकी सही कीमत भी हर कोई नहीं समझ सकता है इसलिए सबसे सही बर्ताव और सम्मान की आशा न रखें जो आपकी अपने जीवन में सही कीमत समझते हैं वही आपकी कीमत समझेंगे।