हौद में पड़ा कुत्ता तूफानी रात ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक बाड़े में एक कुत्ता और कुछ घोड़े रहते थे। कुत्ता हमेशा घोड़ों का चारा रखने की हौद में मुलायम सूखी घास पर सोता रहता था। वैसे तो कुत्ते का भोजन बाड़े के बाहर अहाते में रखा जाता था लेकिन स्वार्थी कुत्ता आराम करने के लिए उसी हौद में पड़ा रहता था जिसमें घोड़ों के खाने के लिए मुलायम घास रही जाती थी।
इतना ही नहीं, जब घोड़े खाना खाने आते, तो वह उन पर भौंकने भी लगता। बेचारे घोड़े अपना खाना तक आराम से नहीं खा पाते थे। वे कुत्ते को बताते कि किसान ने अहाते में उसके लिए हड्डियाँ रखी हैं, लेकिन कुत्ता हौद से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं होता था।
घोड़ों ने आपस में कहा “कितना स्वार्थी कुत्ता है! वह जानता है कि वह घास नहीं खा सकता लेकिन वह तो हमें भी कुछ खाने नहीं देता। साथ ही हमें तो परेशानी में डालता ही है और एक दिन वह खुद भी परेशानी में पड़ेगा।”
ऐसा ही हुआ एक दिन बहुत तेज तूफान और बारिश की आशंका पर बाड़े के मालिक ने सभी घोड़ों को बाड़े के अंदर सुरक्षित स्थान पर बांध दिया। रात में बहुत तेज बारिश और तूफान आया और कुत्ता होद में आराम करने के चक्कर में बाहर ही रह गया वह रात भर बारिश में भीगता रहा और तेज तूफान के कारण उसका मालिक भी कुत्ते के भोंकने की आवाज न सुन सका।
अगले दिन कुत्ते की हालत देख कर सब घोड़े उस पर हंसने लगे, कुत्ते को अपनी गलती का एहसास हो चूका था।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों का बुरा करने से देर सवेर ही सही लेकिन हमें अपने कर्मों का फल अवश्य मिलता है। अतः कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए।