समय का पहिया और बाज का परिश्रम – प्रेरक कहानी हिंदी में :- बहुत पुरानी बात है आनंदवन नाम का एक बहुत ही विशालकाय और सुंदर वन था, इस वन में कई तरह के शाकाहारी और मांसाहारी पक्षी, जानवर रहा करते थे। वन में घने घने पेड़ और कई तालाब थे, इसी वन में एक बाज भी रहा करता था। उम्र हो जाने के कारण उस बाज की चोंच मूड चुकी थी, पंजों में भी पहले जैसी पकड़ नहीं थी और अब वह ऊंचाई पर भी नहीं उड़ पाता था।
बाद में अब पहले जैसी फुर्ती नहीं रही थी, वह ठीक से शिकार भी नहीं कर पाता था। पहले तो उसके लिए किसी जानवर को पकड़ना ही मुश्किल होता था और अगर वह पकड़ भी ले तभी भी जानवर उसकी पकड़ से छूटकर भाग जाते थे। इस वजह से बाज को ठीक से भोजन भी नहीं मिल पाता था वह दूसरों की बची कुची जूठन खाने पर ही मजबूर हो गया था।
इस वजह से बाज की शायद एक स्थिति और खराब हो चुकी थी, इस वजह से सभी जानवर उसका मजाक ही बनाया करते थे। ऊंचा ना उड़ पाने के कारण छोटी-छोटी चिड़िया भी उसका मजाक बना देती थी, जानवरों द्वारा ऐसे मजाक बनाए जाने के कारण बाज काफी खिन्न और चिढ़ा हुआ रहता था। उसकी किसी भी जानवर से बिल्कुल भी नहीं बनती थी इसलिए उसका कोई दोस्त नहीं था।
1 दिन की बात है उस जंगल में एक शिकारी आ गया, शिकारी ने कई सारे जानवरों का शिकार किया, यह देख पूरे जंगल में हाहाकार मच गया। शिकार करते करते शिकारी इस असहाय बाज के पास भी पहुंचा, बाज की स्थिति देख पहले तो शिकारी बाज पर खूब हंसा फिर बाज से बोला
“तुम्हारी तो उम्र हो चली है, तुम्हें मारने में वह आनंद नहीं आएगा जो किसी अन्य जवान जानवर को मारने में आता है और तुम्हारी स्थिति देख कर तो लगता है तुम वैसे ही कुछ दिन की मेहमान हो और दूसरों की जूठन खाकर जी रहे हो। अतः मैं तुम्हें जीवन दान देता हूं ताकि तुम खुद ही तड़प तड़प कर मर सको” अगर यह कहकर शिकारी हंसता हुआ वहां से चला गया।
शिकारी की यह बात बाज को अंदर तक झकझोर गई, वह अब अपने आप को पहले से भी असहाय और बूढ़ा महसूस कर रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए तभी उसे याद आया कि उसकी ऐसी असहाय स्थिति में उसके परिवार जन ही उसकी सहायता कर सकते हैं अतः वह नजदीक ही अपने पिता के जंगल की ओर बढ़ चला।
ठीक से ना उठाने के कारण बाज को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ा और वह काफी समय में अपने पिता के जंगल पहुंचा। बाज के पिता की उम्र काफी हो चली थी और वह अब उड़ने बचाने में सक्षम नहीं थे बाज को अपने पिता को इस स्थिति में देखकर काफी दुख हुआ।
बाज के पिता, बाज को वहां देख के काफी खुश हुए और उन्होंने बाज के वहां आने का प्रयोजन पूछा। बाज ने अपने साथ हुई सारी घटनाएं अपने पिता को बताएं और रोने लगा यह सुन बाज के पिता बोले “क्या तुम पागल हो गए हो बाज 70 वर्षों तक जीवित रहते हैं और तुम तो अभी मात्र 35 वर्ष के ही हुए हो तभी तुम्हें लगता है कि तुम बूढ़े हो चुके हो ?”
बाज यह बात सुन अचंभित था और अपने पिता से बोला “अगर ऐसा है तो मेरी चोंच क्यों मुड़ चुकी है, पंजों की पकड़ भी कम हो गई है और मैं ठीक से उड़ भी नहीं पाता हूं”
यह सुन बाज के पिता ने बताया कि यह सब होना एक स्वाभाविक घटना है, चोंच लंबी हो जाने के कारण उसकी जांच घुमावदार हो गई है और नाखून बढ़ जाने के कारण उसके पंजों की पकड़ कमजोर हो चुकी है तथा अत्यधिक भोजन खाने और परिश्रम ना करने के कारण उसके पंखों में अतिरिक्त मांस बढ़ गया है जिस कारण वह ठीक से नहीं उड़ पाता है अतः अगर तुम परिश्रम करो तो फिर से पहले की तरह ही फुर्तीवान बन सकते हो।
यह बात सुन बाज का आत्मविश्वास बढ़ा और बाज ने पत्थर पर पटक पटक कर अपनी चोंच और पंजों के नाखून तोड़ दिए, फिर बाज ने अपने पंखों पर मौजूद अतिरिक्त मांग को भी नोच नोच कर फेंक दिया। इस सब में बाज को असहनीय पीड़ा हुई लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
बाज की पीड़ा कम होने में कुछ दिन लगे, फिर वह पहाड़ की ऊंची चोटी पर गया और वहां से उसने छलांग लगा दी लेकिन कुछ देर उड़ने के बाद वह नीचे आ गिरा, बस फिर उठा और पहाड़ की चोटी पर गया और फिर से उसने छलांग लगा दी, कुछ दिन लगातार वह ऐसा करता ही रहा तब तक जब तक कि वह फिर से पहले जैसी ऊंची उड़ान नहीं भरने लग गया।
कुछ ही दिन में बाहर की नई चोंच उग आई थी, साथ ही बाज अब पहले जैसा फुर्ती वान और ऊंचा उड़ाक बन चुका था। अब बाज पहले जैसे ही घंटों तक और ऊंचाई तक आसमान में उड़ सकता था उसे ही आसमान में ऊंचा उड़ता हुआ देख उसके जंगल के साथी पशु-पक्षी आश्चर्यचकित थे और यह देख बाज अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा था।
तभी एक दिन बाज ने देखा कि एक व्यक्ति को दो सांपों ने घेर रखा है और वह व्यक्ति काफी असहाय नजर आ रहा है। बाज ने बिल्कुल भी देर नहीं की और वह उस व्यक्ति की मदद करने के लिए वहां पहुंचा। उस व्यक्ति को ध्यान से देखने के बाद बाज को याद आया कि यह तो वही शिकारी है जिसने बाज को जीवनदान दिया था।
फिर बाज ने उन दोनों सांपों का डटकर सामना किया और दोनों सांपों को मार गिराया। यह देख शिकारी के जान में जान आई, बाज ने शिकारी को देखा और कहा “किसी ने सच ही कहा है कि समय का पहिया जरूर घूमता है, एक दिन तुमने मेरा उपहास उड़ा कर मुझे जीवनदान दिया था और आज मैं तुम्हें जीवनदान दे रहा हूं, लेकिन अच्छा ही हुआ अगर तुम उस दिन मेरा उपहास उड़ा कर मेरी आत्मा पर चोट नहीं करते तो आज मैं पहले जैसा ही असहाय होता और अपनी काबिलियत नहीं पहचान पाता”
यह कहकर बाज आसमान में उड़ गया और यह सब देख शिकारी काफी हतप्रभ और अचंभित था।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपनी काबिलियत नहीं भूलनी चाहिए साथ ही हमें सदैव परिश्रम करते रहना चाहिए। अगर हम अपनी काबिलियत पर भरोसा रखें और परिश्रम करते रहें तो जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमारे लिए करना संभव न हो।
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