हरसिंगार के फायदे और नुकसान : हरसिंगार के फायदे और नुकसान (harsingar ke fayde aur nuksan) बहुत हैं, आयुर्वेद में हरसिंगार (पारिजात) के पेड़ को बहुत महत्ता दी गयी है। यह पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है जिसके सेवन से हम मूत्र रोग, पाचन तंत्र, लीवर विकार, बुखार, पेट के कीड़े एवं अन्य रोगों के खतरे से बचे रहते हैं। इनमें सफेद रंग के फूल खिलते हैं जिसकी मनमोहक खुशबू मन को शांति देते हैं।
हरसिंगार के फूलों का इस्तेमाल पूजा-पाठ की लिए भी किया जाता है। हरसिंगार के फूल रात में खिलते हैं और सुबह होते-होते सारे फूल झाड़ जाते हैं जिस का कारण इसे ‘रात की रानी’ भी कहा जाता है। Advantages and disadvantages of Harsingar in hindi.
हरसिंगार के फायदे और नुकसान (Advantages and disadvantages of Harsingar in hindi)
हरसिंगार (पारिजात) के फूल के अलावा पत्ते एवं छाल का भी उपयोग किया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक गुणों के प्रभाव से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। परन्तु हरसिंगार के अत्यधिक सेवन से कुछ स्वास्थ्य संबंधी नुकसान भी हो सकते हैं इसलिए इसके उपयोग से पहले इसमें पाए जाने गुण व अवगुण के बारे में पूर्ण जानकारी लेना अत्यंत आवश्यक है। Benefits and Side effects of Harsingar in hindi, benefits and losses of Harsingar in hindi.
हरसिंगार के फायदे (Benefits of harsingar in hindi)
- हरसिंगार के उपयोग से हमारी पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। इसकी पत्तियों के रस के इस्तेमाल से हमारे पेट में मौजूद भोजन जल्द पच जाता है जिससे हम कब्ज, अपच एवं एसिडिटी की समस्या से बचे रह सकते हैं। इसमें एंटी-स्पास्मोडिक (Antispasmodic) गुण भी पाए जाते हैं जो हमारे पाचन तंत्र को बेहद सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
- हरसिंगार के पत्तों के इस्तेमाल से अस्थमा जैसी समस्या से राहत मिलती है। इसके पत्तों में एंटी-एलर्जिक (Anti-allergic) एवं एंटी-अस्थमेटिक (Anti-asthmatic) गुण पाए जाते हैं जिससे हमें इस समस्या से जल्द राहत मिलती है। अस्थमा जैसी परेशानी में हमारे नाक की नली में सूजन आ जाती है एवं उसके आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं ऐसे में हरसिंगार की पत्तियों के अर्क का सेवन करने से हमारे शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे हमारी नाक की नली को राहत मिलती है।
- हरसिंगार की जड़ की छाल के सेवन से हमारे हृदय का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मोटापा एवं डायबिटीज के कारण हमारा हृदय बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जिसके कारण हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। हरसिंगार की जड़ की छाल में डायबिटीज के कारण हमारे शरीर में बढ़ने वाले लिपिड सीरम एवं ट्राइग्लिसराइड्स (एक प्रकार का फैट) के स्तर को घटाया जा सकता है जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
- हरसिंगार के अर्क का सेवन करने से गठिया जैसी बीमारी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। गठिया एक जोड़ों से संबंधित बीमारी है जिसमे हमारे हड्डियों के जोड़ों में दर्द एवं सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हरसिंगार के अर्क में एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) गुण पाए जाते हैं जिससे जोड़ों की सूजन में राहत मिलती है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक गुणों के प्रभाव से हमारे जोड़ों में दर्द की समस्या का भी निवारण होता है।
- हरसिंगार के सेवन से पाइल्स (बवासीर) की समस्या में राहत मिलती है। इस बीमारी में मल द्वार में मस्से निकल आते है जिससे हमें मल निकासी के दौरान ब्लीडिंग, सूजन एवं अत्यधिक दर्द का सामना करना पड़ता है। हरसिंगार में एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) एवं लैक्सटिव (Laxative) गुण पाए जाते हैं जिससे पाइल्स के लक्षणों को कम करने में आसानी होती है। पेट में कब्ज का होना भी पाइल्स की एक वजह हो सकता है। हरसिंगार के बीज एवं फूलों के इस्तेमाल से कब्ज एवं पाइल्स दोनों की समस्या से राहत मिलती है।
- हरसिंगार के इस्तेमाल से डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षणों को घटाया जा सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory), एंटी-बैक्टीरियल (Anti-bacterial) एवं एंटी-वायरल (Anti-viral) गुण पाए जाते हैं जो हमें मच्छरों के कारण होने वाले डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसी बीमारी से बचाते हैं।
- हरसिंगार की जड़ की छाल का सेवन करने से हम मधुमेह जैसी बीमारी से बच सकते हैं। इसमें लिनोलिक एसिड (Lenoneic acid) एवं एंटी-डायबिटिक (Anti-diabetic) गुण पाए जाते हैं जो हमारे रक्त शर्करा के स्तर को कम करने का कार्य करते हैं। मधुमेह के रोगियों को इसके उपयोग से बहुत फायदा मिल सकता है। यह हमारे रक्त में शुगर की मात्रा को बढ़ने से रोकता है।
- हरसिंगार के उपयोग से हम अपने रक्त के शुद्ध रख सकते हैं। इसमें हेपाटो- प्रोटेक्टिव गतिविधि (Hepatoprotective activity) पायी जाती है जो हमारे लीवर को होने वाले नुकसान से बचाने का कार्य करते हैं। यह हमारे रक्त में मौजूद विषैले पदार्थों को फ़िल्टर कर उसे बाहर निकालते हैं। हरसिंगार का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है जिससे रक्त शुद्धिकरण में बहुत मदद मिलती है।
- हरसिंगार के इस्तेमाल से दाद-खुजली जैसे त्वचा संबंधी संक्रमण से बचा जा सकता है। दाद-खुजली जैसी समस्याओं में त्वचा पर लाल रंग का गोला उभर आता है जिसमें खुजली होती है। हरसिंगार के फूल, बीज एवं पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल (Anti-bacterial) एंटी-फंगल (Antifungal) गुण पाए जाते हैं जिससे दाद-खुजली जैसी समस्या जल्द ठीक हो जाती है। संक्रमण वाले स्थान पर हरसिंगार के फूल, बीज या पत्तियों का पेस्ट लगाने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
- हरसिंगार के इस्तेमाल से हमारे घाव जल्दी भर जाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) पाए जाते हैं जिनके सकारात्मक प्रभाव से हमारे घाव जल्दी भर जाते हैं। घाव वाले स्थान पर इसके पेस्ट को लगाने से जल्द फायदा मिलता है।
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हरसिंगार के नुकसान (Losses of harsingar in hindi)
- गर्भवती महिलाओं को हरसिंगार का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए इससे उनकी और गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- हरसिंगार के अत्यधिक सेवन से गले से संबंधी समस्याएं जैसे गले में खराश एवं खांसी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसकी तासीर ठंडी होती है जिसके अधिक इस्तेमाल से गले संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
- एलर्जी की समस्या वाले लोगों को हरसिंगार के सेवन से पहले डॉक्टर का परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए।
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