गधा, घोड़ा और कपड़ों का बोझ ( पंचतंत्र की कहानी )

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गधा, घोड़ा और कपड़ों का बोझ ( पंचतंत्र की कहानी )

गधा, घोड़ा और कपड़ों का बोझ ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक धोबी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन, धोबी ने कपड़ों की भारी पोटली गधे की पीठ पर लाद दी। घोड़े के ऊपर कुछ नहीं लादा।

गधे के ऊपर लदा बोझा काफ़ी भारी था लिहाजा गधे ने घोड़े से अनुरोध किया कि “भाई! मैं इस बोझ के मारे मरा जा रहा हूँ। कुछ बोझा अपने ऊपर ले लो।”

घोड़े ने साफ़ इन्कार कर दिया, उसने गधे से कहा “मैं क्यों तुम्हारा बोझा लादूँ? घोड़े तो सवारी के लिए होते हैं, बोझा ढोने के लिए नहीं।”

गधा यह सुन मायूस हो गया और चलता रहा। कुछ देर बाद गधा बोझा नहीं सह पाया और गिर पड़ा। यह देख धोबी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गधे को पानी पिलाया और सारा बोझा घोड़े के ऊपर लाद दिया।

अब घोड़ा पछताने लगा और सोचने लगा कि “काश! अगर मैंने गधे की बात मानकर उसका आधा बोझा अपनी पीठ पर ले लिया होता, तो मुझे पूरा बोझा लादकर बाज़ार तक इस तरह नहीं जाना पड़ता!”

अब गधा खुश था और घोडा दुखी था।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी मित्र के मदद मांगने पर उसकी मदद अवश्य करनी चाहिए क्योंकि आज जिस हालत में उसे मदद की जरूरत है कल आपको भी किसी की मदद की जरूरत पड़ सकती है।

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