सच्चा मित्र और शिकारियों का हमला ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – बहुत समय पहले की बात है, एक पेड़ पर तोते का एक जोड़ा रहता था। उसी पेड़ पर एक बिल में एक बूढ़ा साँप भी रहता था। साँप बुढ़ापे के कारण बहुत ही कमजोर हो चुका था। वह अपने लिए शिकार की तलाश करने तक नहीं जा पाता था।
बूढ़े सांप की यह हालत देख कर तोते उसके बिल के पास कुछ खाना रख देते थे। तोते जोड़े का यह स्नेह और दया देख साँप उन तोतों का बहुत आभार जताया करता था।
एक दिन की बात है कि एक गिद्ध उन तोतों का शिकार करने के लिए उस पेड़ पर मँडराने लगा। तभी एक बहेलिया भी वहाँ उन तोतों का शिकार करने वहां आ गया। बहेलिया अर्थात शिकारी ने तीर से तोते को निशाना बनाने के लिए पेड़ के तने में बने घरोंदें पर निशाना लगा, उस पर ध्यान केंद्रित करके खड़ा हो गया।
जब साँप को यह पता चला कि उसके मित्र तोते की जान संकट में हैं, तो सांप ने जैसे तैसे बहेलिए के पास पहुंचकर उसके पैर में काट लिया।
साँप के काटने से बहेलिए का हाथ हिल गया और उसका निशाना चूक गया। बहेलिए का तीर सीधे मँडरा रहे गिद्ध को जा लगा और इस तरह साँप ने अपने मित्रों की जान बचाकर साबित कर दिया कि वह सच्चा मित्र है। तोतों ने जब यह देखा तो उन दोनों ने सांप का आभार जताया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चे दोस्त हमेशा मुसीबत में अपने दोस्तों की सहायता करते हैं इसलिए सदैव सबके साथ अच्छा व्यवहार रखें और मित्रता को अच्छे से निभाएं।