थायराइड में मूली के फायदे ( Thyroid mein muli ke fayde ) : थायराइड में मूली के बहुत से फायदे होते हैं, थायराइड एक प्रकार का रोग है जो अस्वस्थ्य खानपान व तनापूर्ण जीवन जीने के कारण उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। थायराइड ग्रंथि में कुछ समस्या होने के कारण थायराइड संबंधी रोग Hyperthyroidism व Hypothyroidism जैसे रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिसका परिणाम सामान्यतः वजन का बढ़ना या घटना होता है।
थायराइड ग्रंथि मानव शरीर की अंत स्रावी ग्रंथियों में से एक होती है जिसका कार्य Tri–iodothyronine यानी T3 व Thyrocalcitonin नामक हार्मोन्स को स्रावित करना होता है। T3 और Thyrocalcitonin ऐसे हार्मोन्स होते हैं जो शरीर के मोटाबॉलिज्म दर एवं अन्य विकास तंत्रो को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
थायराइड रोग होने के कारण (Causes of thyroid disease in hindi)
- असंतुलित आहार जिसमें पोषक तत्वों की कमी हो या वह भोजन जिसमें आयोडीन की कम या अधिक मात्रा हो।
- अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने वाले व्यक्तियों में थायराइड की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- भोजन में सोयायुक्त उत्पादों का अधिक सेवन करने से थायराइड की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था के दौरान कई बदलाव होते है इन असामान्य बदलावों के कारण थायराइड की समस्या उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है।
- थायराइड एक अनुवांशिक रोग भी है जिसमें यदि परिवार के किसी सदस्य को थायराइड रोग हुआ है तो वह परिवार के अन्य सदस्यों में भी हो सकता है।
मूली में पाए जाने वाले पोषक तत्व
मूली में विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए, विटामिन के और विटामिन बी-6 पाया जाता है। इसके अलावा मूली में फाइबर, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, एंटीऑक्सीडेंट एवं जस्ता जैसे पोषक तत्व पाए जाते है।
थायराइड में मूली के फायदे (Benefits of Radish in Thyroid in hindi)
थायराइड रोगियों के लिए मूली बेहद फायदेमंद होती है, थायराइड में मूली का सेवन करने से यह ह्रदय की गति को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद मिलती है। मूली में एंथोसायनिन पाया जाता है जो थायराइड में होने वाली ह्रदय से संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
थायराइड में मूली का सेवन करने से यह बहुत ही फायदेमंद होती है क्योंकि मूली में पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है जो थायराइड के रोगियों को उचित मात्रा में पोटैशियम प्राप्त करा कर थायराइड में होने वाली समस्या और हाइपरटेंशन की समस्या को दूर करके रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
थायराइड में मूली का सेवन करने से यह शरीर की कमजोरी को दूर करके इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा मूली में विटामिन सी होता है जो थायराइड में होने वाले सर्दी-जुकाम एवं कफ को ठीक करने के साथ-साथ सूजन एवं जलन को कम करने में भी मदद करता है।
थायराइड में मूली का सेवन करने से यह शरीर में मोटाबॉलिज्म को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा थायराइड में उत्पन्न होने वाली समस्याएं जैसे – मतली, गैस्ट्रिक व एसिडिटी को भी मूली के नियमित रूप से सेवन करके दूर किया जा सकता है।
थायराइड में पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए मूली का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए चूँकि मूली में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जो थायराइड के दौरान पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ उससे होने वाले विभिन्न रोगों को ठीक करने में भी मदद करता है।
थायराइड में मूली का सेवन करने से यह त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में भी मदद करती है। मूली में विटामिन सी और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो थायराइड के दौरान महिलाओं की त्वचा में होने वाले कील-मुहांसे व रूखी त्वचा की समस्या को दूर करता है।
थायराइड में मूली का सेवन करने से यह रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में मदद करती है। मूली में कोलेजन पाया जाता है जो थायराइड रोगियों के शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाता है और ऐथिरोस्क्लेरोसिस या धमनियों में होने वाली समस्याओं को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
थायराइड के लक्षण (symptoms of thyroid in hindi)
- थायरॉइड हार्मोन की मात्रा अधिक होने के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म की मात्रा बढ़ जाती है।
- ओस्टियोपोरोसिस हो जाना जिसमें हड्डियों में तेजी से कैल्शियम की कमी होने लगती है।
- बालों का झड़ना व पतलापन।
- नींद न आने की समस्या।
- दिल की धड़कन बढ़ना।
- अधिक पसीना आना।
- मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द होना।
- दिल की धड़कन का बढ़ना।
- चिड़चिड़ापन
- हाथों का काँपना
- घबराहट
- मासिक धर्म में अनियमितता की समस्या।
- अधिक भूख लगने के बाद भी वजन घटना।
जानें मूली खाने के फायदे और नुकसान।
थायराइड की अल्प सक्रियता होने के कारण हाइपोथायरायडिज्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है इसके लक्षण निम्नलिखित हैं –
- मेटाबॉलिज्म धीमा होने पर वजन का बढ़ जाना
- अवसाद
- कम पसीना आना
- मासिक धर्म की अनियममित्ता
- धड़कन की गति धीमी होना
- बालों का अधिक झड़ना
- त्वचा खुजली व सूखापन होना
- सर्दी के प्रति अति संवेदनशील होना
- जोड़ों में दर्द
- मांसपेशियों में अकड़न होना
- थकान महसूस करना
- खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाना
- नाखूनों का पतला होना व जल्दी टूट जाना
- कब्ज
- चेहरे व आँखों में सूजन
- महिलाओं में बांझपन आ जाना
- सोचने समझने की क्षमता में कमी, बार-बार भूल जाना या कन्फ्यूजन रहना।
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