इनडाइजेशन या अपच के आयुर्वेदिक उपचार :- आजकल इनडाइजेशन या अपच एक आम समस्या बन गई है। लगभग हर घर में आपको इसके रोगी देखने के लिए मिलेंगे। कुछ लोगों को कभी कुछ विशेष खाना खाने के बाद अपच की समस्या होती है जबकि कुछ लोगों को हमेशा ही अपच की समस्या बनी रहती है। अपच की समस्या के कुछ प्रमुख कारण हैं जिनको हम यहाँ पर समझेंगे। apach ke ayurvedic upay, apach ka ayurvedic ilaj in hindi.
पीलिया या ज्वाइंडिस (Jaundice)
कुछ लोगों को बचपन में या फिर जिंदगी में कभी न कभी पीलिया या ज्वाइंडिस होता है, जिसके कारण उनका लीवर कमजोर हो जाता है। एक बार लीवर कमजोर हुआ तो अपच की समस्या शुरू हो ही जाती है। ये समस्या फिर आयुर्वेद के बिना दूर नहीं हो पाती है। यदि आप ऐसी किसी समस्या से ग्रस्त हैं तो मैं आपको सुझाव दूंगा कि इस ब्लॉग को ध्यान से पड़ें और नीचे दिए गए सुझावों का तत्परता से पालन करें।
कभी भी कुछ भी खाते रहना
बहुत सारे लोगों कि आदत रहती है कि वे हमेशा कुछ न कुछ खाते रहते हैं। इससे उनका डाइजेशन (Digestion) सिस्टम हमेशा व्यस्त रहता है। जब तक डाइजेशन सिस्टम पहले खाये गए खाने को पचा पायेगा उसके पहले ही ये लोग दूसरी बार खाना खा लेते हैं या बिस्किट आदि खा लेते हैं। इससे डाइजेशन सिस्टम पर बहुत बुरा असर होता है और हमारा पूरा पाचन तंत्र ख़राब हो जाता है। इसलिए हमें कभी भी कुछ भी खाने कि आदत से बचना चाहिए और भोजन के नियमों का पालन करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार दो बार के भोजन के बीच कम से कम आठ घंटे का अंतर रखना चाहिए।
पानी पीने के नियमों की जानकारी न होना
बहुत से लोग खाने के साथ इतना अधिक पानी पीते हैं कि शरीर में अनाज कम जाता है और पानी अधिक जाता है। आयुर्वेद और मॉर्डन साइंस दोनों ही मानते हैं कि यदि भोजन में पानी अधिक जा रहा है तो उस भोजन का सही से पाचन नहीं हो पाता है और वो अपच कि समस्या उत्पन्न करता है। भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ आर. एन. वर्मा जी के अनुसार यदि हम भोजन के साथ ज्यादा पानी पीते हैं या अधिक लिक्विड वाला भोजन करते हैं तो वो हमारे आमाशय के अंदर स्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को डाइल्यूट यानि पतला कर देता है। जिससे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में उस भोजन को पचाने कि क्षमता कम हो जाती है। इसलिए हमें खाना खाने के बाद कम से कम 90 मिनट तक पानी नहीं पीना चाहिए और खाने के पहले भी कम से कम 40 मिनट पहले ही पानी पीना चाहिए। आयुर्वेद के प्रामाणिक ग्रंथों में भी पानी पीने के इन नियमों का उल्लेख है जिन्हें पूज्य भाई राजीव दीक्षित जी के स्वास्थ्य व्याख्यानों में सुना जा सकता है।
देर रात्रि में खाना खाना
बहुत से लोगों में उनकी कार्यशैली के चलते देर रात में खाना खाने कि बुरी आदत होती है जबकि कुछ लोग तो जान बूझ कर टाइम पास करते रहते हैं और रात 10 या 11 बजे खाना खाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हमें सुबह का खाना सूर्योदय के ढाई घंटे के अंदर कर लेना चाहिए और रात्रि का खाना सूर्यास्त के लगभग 40 मिनट पहले कर लेना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि हमारे पाचन तंत्र का सूर्य के साथ सीधा रिश्ता है और सूर्य की उपस्थिति में हमारा पाचन तंत्र कुशलतापूर्वक (Efficiently) कार्य करता है, सूर्यास्त के बाद पचाव (digest) होने में जरुरत से ज्यादा समय लगता है। साथ ही आयुर्वेद के अनुसार यह भी माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद बैक्टीरिया, कीटाणु आदि का प्रभाव बढ़ जाता है जिस कारण कई रोग हो सकते हैं। इसलिए हमें देर रात्रि खाने की आदत छोड़नी चाहिए।
अपच की समस्या के आयुर्वेदिक समाधान
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