बेल के फायदे और नुकसान ( bel ke fayde aur nuksan ) : बेल के बहुत से फायदे और नुकसान होते है, बेल एक प्रकार का पेड़ है जिससे प्राप्त फल का उपयोग कई तरीके से किया जाता है। बेल का फल गोलाकार या अंडाकार होता है जिसका बाहरी भाग बहुत कठोर और अंदरूनी भाग बहुत कोमल होता है।
बेल के फायदे और नुकसान ( Benefits and Harms of Wood apple in hindi )
बेल बहुत ही मीठा फल है जिसका उपयोग कई तरह के पेय पदार्थ एवं खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए किया जाता है। बेल का वृक्ष बहुत पुराना वृक्ष है जिसे भारतीय ग्रंथों में दिव्य वृक्ष कहा गया है।
हिन्दू धर्म में बेल को एक पवित्र फल के रूप में उपयोग किया जाता है, माना जाता है कि भगवान शिव बेल फल का सेवन किया करते थे इसीलिए भगवान शिव और पार्वती की पूजा के लिए बेल फल चढ़ाया जाता है। आयुर्वेद में बेल को एक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
बेल में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते है जो शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते है। आयुर्वेद में बेल के फल के अलावा उसके पत्ते, फूल, लकड़ी एवं जड़ का उपयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है।
बेल के अन्य भाषाओं में नाम
बेल को हिंदी भाषा में बेल व श्रीफल और अंग्रेजी भाषा में वुड एप्पल, बेल फ्रूट व इंडियन बेल कहा जाता है। इसके अलावा बेल को संस्कृत भाषा बिल्व, शैलूष, शाण्डिल्य, श्रीफल व सदाफल आदि, उर्दू में बेल, असामीज में बेल, कोंकणी में बेल, उड़िया में बेलो व बेलथाई, कन्नड़ में बेलके पत्ते, तेलुगु में मारेडु, गुजराती में बीली, तमिल में बिल्वम व बिल्वपझम, बंगाली में बेल, नेपाली में बेल, मराठी में बेल,बीली व बोलो कहा जाता है।
बेल के फायदे (Benefits of Wood apple in hindi)
बेल का उपयोग नेत्र संबंधी रोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। बेल के पत्तों में थोड़ा घी लगाकर इसे आँखों में रखें उसके बाद इसे हल्की पट्टी से बाँध लें। इससे नेत्र संबंधी कई रोगों को ठीक किया जा सकता है। बेल के पत्तों के रस को आँखों में डालने से भी यह आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा बेल का इस्तेमाल रतौंधी रोग के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है, दस ग्राम ताजे बेल के पत्तों को 6-7 दाने काली मिर्च के साथ पिसकर इसे 100 मिली जल के साथ मिलाकर छान लें। उसके बाद रात में इस जल में बेल के पत्तों को भिगोकर रख लें और सुबह उठकर इससे आँखों को धोएं इससे बहुत ही अच्छे परिणाम दिखाई देते है।
बेल का उपयोग सिरदर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है, बेल की सूखी हुई जड़ थोड़े से पानी के साथ मिलाकर पिस लें और गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को सिर पर लगाने से सिरदर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा बेल के फल के दो भाग बनाकर इसके एक भाग में तिल का तेल और कपूर मिलाकर इसे दूसरे भाग से ढक लें। उसके बाद इस तेल को सिर पर लगाने से इससे जूं होने की समस्या को ठीक किया जा सकता है।
बेल का उपयोग ह्रदय संबंधी रोगों को ठीक करने के लिए किया जा सकता है, 5 से 10 मिली बेल पत्तों के रस के साथ लगभग 5 ग्राम गाय घी मिलाकर इसे चाटने से ह्रदय संबंधी रोगों को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा बेल का उपयोग क्षय रोग (टीबी) को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है। बेल की जड़, नागफनी, अड़ूसा के पत्ते, थूहर पके सूखे हुए फल को लेकर इन्हें सौंठ, पिप्पली और काली मिर्च के साथ मिलाकर इन सभी को कूट लें।
उसके बाद इस मिश्रण को थोड़ी मात्रा में लेकर लगभग आधा लीटर पानी में मिलाकर तब तक पकाए जब तक पानी एक चौथाई न रह जाए। उसके बाद इस पानी का सुबह शाम शहद के साथ सेवन करने पर क्षय रोग की समस्या को ठीक किया जा सकता है।
बेल का उपयोग पेट में होने वाले दर्द को ठीक करने के लिए किया जाता है। 10 ग्राम बेल के पत्ते और 6 से 7 काली मिर्च लेकर इन्हे पीस लें। उसके बाद इनमें मिश्री मिलाकर इनका शर्बत बना लें, इस शर्बत को दिन में तीन बार पिए इससे पेट में होने वाला दर्द ठीक हो जाएगा। इसके अलावा बेल का इस्तेमाल पीलिया की समस्या को ठीक करने में भी मदद करता है।
बेल के पत्तों के रस में थोड़ा सा काली मिर्च मिलाकर इसका सुबह शाम सेवन करने से पीलिया की समस्या को ही नहीं बल्कि शरीर में होने वाली खून की कमी (एनीमिया) को भी ठीक किया जा सकता है।
बेल का उपयोग पेट संबंधी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है। बेल से उल्टी, दस्त, बदहजमी आदि को ठीक किया जा सकता है। उल्टी की समस्या होने पर बेल के पके फल के गूदों को लेकर इसे मसलकर छान लें। उसके बाद इसमें मिश्री, लौंग, थोड़ा कपूर, काली मिर्च और इलायची मिलाकर इसका शर्बत बना लें। इससे बने शर्बत का नियमित रूप से सेवन करें इससे न केवल उल्टी बल्कि जलन, कब्ज और पाचन क्रिया को मजबूत बनाया जा सकता है। दस्त की समस्या को ठीक करने के लिए बेल के कच्चे फल को आग में सेंक लें उसके बाद इसके 10 से 20 गूदे लेकर मिश्री के साथ खाए इससे दस्त की समस्या ठीक हो जाएगी।
बेल हैजा के रोगियों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है, बेलगिरी व आम मींगी को 10-10 ग्राम समान मात्रा में लेकर इन्हे बारीक़ कूट लेने के बाद इसे 50 मिली पानी में तब तक पकाए जब तक पानी बहुत गाढ़ा न हो जाए उसके बाद इसको मिश्री में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिए ऐसा करने से हैजा की समस्या ठीक हो जाएगी। इसके अलावा बेल के रस में छोटी पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर पीने से जलोदर रोग को भी ठीक किया जा सकता है।
बेल मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। रोजाना बेल के पत्तों के रस का सेवन करने से मधुमेह की समस्या को दूर किया जा है। बेल का सेवन कमजोरी को दूर करने के लिए भी किया जाता है, बेलगिरी के चूर्ण को मिश्री के दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी दूर हो जाती है। इसके अलावा चेचक में होने वाली समस्या को बेल के पत्तों की हवा देने से यह जलन और बेचैनी को दूर करने में मदद करता है। बेल के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से भी चेचक की समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
बेल का इस्तेमाल फोड़े-फुंसी होने पर भी किया जाता है, बेल की जड़ या उसकी लड़की को थोड़े से पानी में पीस लें और उस पेस्ट को फोड़े-फुंसी में लगाए इससे लाभ मिलेगा। इसके अलावा कीड़े के काटने या आग में जले भाग को भी बेल से ठीक किया जा सकता है। बेल के ताजे पत्तों का रस उस भाग पर लगाए जहां कीट ने कटा है या जला है इससे यह समस्या ठीक हो जाएगी।
बेल के पत्तों का रस त्वचा के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। इससे शरीर से आने वाली दुर्गंध को भी दूर किया जा सकता है। बेल के पत्तों का रस शरीर पर लगाकर कुछ देर बाद नहाने से शरीर की बदबू को दूर किया जा सकता है।
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बेल के नुकसान (Losses of Wood apple in hindi)
- कब्ज की समस्या के दौरान यदि मल सख्त हो रहा है तो बेल का सेवन नहीं करना चाहिए इससे कब्ज की समस्या और बढ़ सकती है क्योंकि बेल मल को और अधिक सख्त बना देता है।
- थायराइड के रोगियों को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह थायराइड हार्मोन्स पर अपना प्रभाव डालता है जिससे यह समस्या बढ़ जाती है।
- मधुमेह के रोगियों को बाजार में मिलने वाले बेल के जूस का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि इनमें बहुत सी मिलावट होती है जो नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा किसी रोग के इलाज के दौरान बेल का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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