बुज़ुर्ग उल्लू की चतुराई की कहानी हिंदी में :- एक समय की बात है एक जंगल में एक बड़े से बरगद के पेड़ पर उल्लुओं का एक झुंड रहता था। उल्लुओं के इस झुंड में कई युवा उल्लू, उनके बच्चे और एक बुज़ुर्ग उल्लू था जोकि इन सब उल्लुओं का मुखिया था।
इसी जंगल में एक बड़ा भयंकर और खुंखार सांप रहता था। एक दिन यह सांप भोजन की तलाश में जंगल में भटक रहा था तो उसकी नजर उल्लुओं के घोंसलों से भरे बरगद के पेड़ पर पड़ी।
सांप ने देखा की पेड़ तो उल्लुओं से भरा पड़ा है तो यकीनन यहां उल्लुओं के बच्चे भी होंगे और अंडे भी। सांप के मुँह में पानी आ रहा था वो ललचायी आंखों से उल्लुओं देख रहा था।
उसके देखा की कई उल्लू खाने की तलाश में पेड़ से उड़ गये हैं। पेड़ पर बस बच्चे और एक बुढ़ा उल्लू ही बचा है। सांप ने मोंके का फायदा उठाया और चुप चाप पेड़ पर चढ गया और कुछ घोंसलों से अण्डे खाकर भाग गया।
जब युवा उल्लू लोटे तो पता चला कि कुछ अण्डे गायब हैं। सभी बहुत दुखी थे और चिंतित भी कि आखिर यह हुआ कैसे और किसने किया। मुखिया उल्लू से पुछा गया कि अब क्या किया जाये।
मुखिया उल्लू ने कहा कि “जो हो गया है उसे तो बदला नहीं जा सकता है पर हम एक काम करते हैं कि तुम सब में से एक युवा कल हमारे पेड़ के नज़दीक वाले पेड़ पर छुपकर हमारे पेड़ पर नजर रखेगा, बाकि सब भी किसी पेड़ पर छिप जाना। जो शिकारी आज आया है यकीनन वो कल भी आयेगा तब हमें पता चल जायेगा कि ये किसका काम है।”
योजना अनुसार ऐसा ही हुआ बरगद के नजदीक के पेड़ पर एक उल्लू छुप गया तभी उसने देखा कि बडा सा एक सांप बरगद के पेड़ पर चढ़ रहा है। उल्लू चिल्लाया “सावधान! सांप-सांप।”
ये सुनते ही बाकि पेड़ों पर छुपे उल्लू बरगद के पेड़ की तरफ जल्दी से पहुँचे। उन्होंने देखा कि एक विशालकाय सांप पेड़ पर है। उल्लुओं ने उसका सामना करने की कोशिश की पर कोई सफल ना हुआ। इस सब में सांप ने कई अण्डे खा लिये और कई बर्बाद कर दिये, कई घोंसले भी तबाह कर दिये और भाग गया।
सभी उल्लू काफी हतप्रत और दुखी थे, अब सबको पता था कि शिकारी कौन है पर उसका मुकाबला कैसे किया जाये ये किसी को समझ नहीं आ रहा था। उल्लू संख्या में तो ज्यादा थे लेकिन शक्ति में सांप से कमजोर थे।
अगला दिन हुआ और सुबह-सुबह सांप पेड़ पर आ धमका। इस बार उसने कई बच्चों को अपना शिकार बना लिया। उल्लुओं ने डटकर सांप का सामना किया लेकिन असफल रहे। अब उल्लुओं को समझ नहीं आ रहा था की क्या करें? कईयों का सुझाव था कि इस पेड़ को छोड़कर कर कहीं और चले जाते हैं।
जब मुखिया उल्लू से उनकी राय पुछी गयी तो उन्होंने कहा कि “यहाँ से भाग जाना तो इस समस्या का हल नहीं है। हमें इस समस्या का मुकाबला करना ही पड़ेगा।” सब सोच में थे कि इतने शक्तिशाली सांप का मुकाबला कैसे किया जा सकता है।
मुखिया उल्लू ने बताया कि “इस शक्तिशाली सांप को शक्ति से नहीं लेकिन बुद्धि से जरूर हराया जा सकता है।” सबने पुछा कैसे ?
मुखिया उल्लू ने अपनी योजना सबको बताई और ठीक उसी दिन एक उल्लू उड़ता हुआ कुछ दूर स्थित एक बडे आलीशान महल के झरोखे के पास बैठ गया और महल के अंदर झांकने लगा। उसे उस राज्य की रानी के कक्ष में जाना था और एक चमकदार कीमती हार को चुराना था। उल्लू ने देखा कि रानी के श्रृंगारदान के समीप ही एक हीरों का हार पड़ा है।
उल्लू ने थोड़ी देर रानी पर नजर रखी और जैसे ही रानी हार से कुछ दूर हुई उल्लू ने चुपचाप हार अपनी चोंच में दबाया और खिड़की के समीप जाकर बैठ गया। उल्लू, रानी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आवाजें निकालने लगा।
रानी की नजर उल्लू पर पड़ी तो उसने देखा कि उसका प्रिय और किमती हार उल्लू ने अपनी चोंच में दबा रखा है। रानी जैसे ही उल्लू की तरक झपटी उल्लू उड़ गया। रानी ने शोर मचाया और सैनिकों को सब बात बताई। सैनिक भी रानी का प्रिय हार ढूढ़नें के लिए उल्लू की तलाश करने लगे।
सैनिकों देखा कि उल्लू तो महल पर ही मंड़रा रहा है। उल्लू भी सैनिकों के महल से बाहर आने का इंतजार कर रहा था, सैनिकों की नजर उस पर पड़ते ही वह जंगल की तरफ उड़ चला। उल्लू बहुत हल्के-हल्के ही उड़ रहा था ताकि सैनिक उसका पीछा कर सकें।
उल्लू सैनिकों को उड़ते हुए एक गुफा में ले गया। उस गुफा में वही सांप रहता था जिसने उल्लुओं के पेड़ पर आतंक मचा रखा था। सैनिक उल्लू को उस गुफा में जाता देख उसके पीछे गये तो उन्होंने वहाँ सांप को देखा। सांप ने सैनिकों से जान का खतरा समझ उन पर हमला कर दिया और अपना बचाव करते हुए सैनिकों ने लाठी भालों से सांप पर वार करने शुरू कर दिये।
उल्लू यह देख वह हार वहीं गुफा में छोड़ उड़ गया और सैनिकों ने सांप को मार कर हार लिया और महल की तरफ चले गये। उल्लू ने यह खबर मुखिया उल्लू को दी की सांप को सैनिकों द्वारा मार दिया गया है तो सभी उल्लू बहुत खुश हुए। बुद्धि और चातुर्य ने बल को हरा दिया था और अब उल्लुओं को सांप के आतंक से मुक्ति मिल चुकी थी।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि बड़ी से बड़ी समस्या का हल बुद्धि और चातुर्य से निकाला जा सकता है और बुद्धि से कितने भी बलशाली को मात दी जा सकती है।
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