धन का सही उपयोग – ज्ञानवर्धक कहानी, ज्ञानवर्धक प्रेरक कहानियां, बच्चों की ज्ञानवर्धक कहानियां और सामाजिक ज्ञानवर्धक कहानियां यहाँ दी जाती हैं आज की प्रेरणादयक कहानी है “धन का सही उपयोग”।
धन का सही उपयोग – ज्ञानवर्धक प्रेरक कहानी
बहुत पुरानी बात है वेदपुर नाम का एक गांव था जिसमें गंगाराम नाम का एक व्यक्ति रहता था। गंगाराम को लगता था कि वह न तो खुश था और न ही सुखी क्योंकि गंगाराम को लगता था कि वह राजा के यहाँ चाकरी करके कमाता तो ठीक-ठाक है लेकिन कुछ बचा नहीं पाता है इसलिए वह अवसाद में रहने लगा और अपने जीवन को कोसने लगा कि क्या फायदा ऐसे काम का और ऐसी ज़िंदगी का।
एक दिन वह अपने जीवन से परेशान होकर रास्ते पर चले जा रहा था और थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने देखा कि एक किसान अपने खेत में हल चला रहा है और जीतोड़ मेहनत कर रहा है। थोड़ी देर बाद वह किसान भी गंगाराम जिस पेड़ के नीचे बैठा था, उसी पेड़ के नीचे अपने बैल बांधकर भोजन की पोटली खोलने लगा।
किसान ने भोजन पोटली से निकाला और वहीं पेड़ के नीचे बैठे गंगाराम से पूछा कि भाई आप थके हुए लग रहे हो भोजन का समय हो गया है क्या आप चाहो तो मेरे भोजन में से कुछ भोजन खा सकते हो। गंगाराम को भी भूख लगी हुई थी अतः उसने किसान का प्रस्ताव स्वीकार किया और साथ में खाना खाने लगा।
दोनों के बीच फिर बातें होने लगी दोनों एक दूसरे के बारे में पूछने और जानने लगे। बातों ही बातों में गंगाराम ने किसान से पूछा कि क्या वह अपनी ज़िंदगी और आमंदनी से खुश है। इस पर किसान ने जवाब दिया की हाँ वह काफी खुश है।
यह सुन गंगाराम ने किसान से पूछा कि वह कैसे कह सकता है की वह खुश है, अगर वह ठीक से देखे तो वह पायेगा कि उसके जीवन में बहुत कुछ ऐसा है जो उसके पास नहीं है।
यह सुन किसान ने कहा कि सच में मैं अपनी जिंदगी और आमंदनी से खुश हूँ क्योंकि में 4 आना रोज कमाता हूँ जिसमें से मैं एक आना कुएं में डालता हूँ, दूसरे से कर्ज चुकाता हूँ, तीसरा उधार में देता हूँ और चौथा मिटटी में गाढ़ देता हूँ।
यह सुन गंगाराम की दिमाग चकरा गया कि यह किसान क्या कह रहा है कुए में, मिटटी में ! यह सुन गंगाराम किसान से बोला कि आप कहना क्या चाहते हो वह कुछ ठीक से समझ नहीं पा रहा है कृप्या ठीक से अपनी बात स्पष्ट करें।
किसान हँसा और कहा आप इतनी सामान्य सी बात नहीं समझें, गंगाराम ने नहीं में सिर हिलाया। किसान ने कहा कि वह एक आना कुएं में डालता है अर्थात वह एक आना अपने परिवार के भरण-पोषण में खर्च करता है। दूसरे से कर्ज चुकाता है मतलब कि अपने माँ-पिता की सेवा में खर्च करता है।
तीसरा उधार में देता अर्थात बच्चों की शिक्षा दीक्षा में खर्च करता है और चौथा मिटटी में गाढ़ देता है का मतलब कि वह चौथे आने को बचा कर रखता है ताकि किसी भी प्रकार की विपत्ति में वह बचत वाला पैसा उसके काम आये।
यह बात सुन गंगाराम की समझ में आ गया कि उसकी समस्या उसका काम या धन नहीं है बल्कि असली समस्या है पैसे का सही उपयोग न करना। उसने किसान की इस ज्ञानवर्धक बात के लिए किसान का धन्यवाद किया और अपने घर वापिस चले गया और सही से धन का उपयोग करने लगा और अपनी जिंदगी को सकरात्मक तरीके से देखकर संतुष्ट रहने लगा।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हर व्यक्ति कम या ज्यादा धन अर्जित करता है लेकिन अगर उसका सही से उपयोग न करे तो उसे अपनी कमाई हमेशा कम ही लगती है इसलिए ज्यादा धन अर्जित करने से ज्यादा जरुरी है धन का सही से उपयोग करना।
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