गिलोय का काढ़ा के फायदे और नुकसान ( Giloy ka kadha ke fayde aur nuksan ) : गिलोय की तरह ही गिलोय का काढ़े के फायदे और नुकसान भी बहुत से होते हैं। गिलोय एक प्रकार की बेल है जिसके पत्ते पान के आकार के चिकने व हरे रंग के होते हैं। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कोर्डीफोलिया (Tinospora Cordifolia) होता है।
गिलोय का काढ़ा के फायदे और नुकसान (Benefits and harms of Giloy’s decoction in hindi)
गिलोय का उपयोग आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में किया जाता है जिसे अन्य औषधियों की तुलना में सबसे अधिक प्रभावशाली माना गया है। गिलोय काढ़ा की तासीर गर्म होती है।
गिलोय में पाए जाने वाले तत्व
गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड व टीनोस्पोरिन, पामेरिन व टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कॉपर, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-कैंसर आदि तत्व पाए जाते हैं।
गिलोय के अन्य भाषाओं में नाम
हिंदी भाषा में गिलोय को गिलोय व अमृता और अंग्रेजी भाषा में गिलोय, गिलो व द रुट ऑफ़ इम्मोर्टालिटी (oot of immortality) कहा जाता है। इसके अलावा गिलोय को कन्नड़ भाषा में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, फ़ारसी में गिलाई, तेलुगु में गोधची व तिप्प्तिगा और तमिल में शिन्दिल्कोदी कहा जाता है। giloy ka kadha pine ke fayde in hindi.
गिलोय के काढ़े के फायदे (Benefits of Giloy decoction in hindi)
- गिलोय का काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह विभिन्न शारीरिक व मानसिक रोगों से बचाने में सहायक होता है। गिलोय के काढ़े में मौजूद हल्दी व अदरक इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं जिसको पीना शारीरिक श्रम वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक माना जाता है।
- गिलोय के काढ़े का सेवन से डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर यह बहुत ही फायदेमंद होता है। गिलोय के काढ़े का सेवन से प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ने लगती हैं और डेंगू की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके अलावा गिलोय में एंटी-अर्थराइटिक का गुण होता है जो गठिया के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। गिलोय का काढ़ा गठिया की समस्या को दूर करने में भी सहायक होता है।
- गिलोय के जूस का सेवन ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में बहुत ही फायदेमंद होता है इसलिए कई बार डायबिटीज के मरीजों को गिलोय का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा बुखार आने पर भी गिलोय के काढ़े का सेवन करना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
- गिलोय के काढ़े का सेवन सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए भी किया जाता है नियमित रूप से गिलोय के काढ़े का सेवन करने से सर्दी-जुकाम व खासी से तुरंत राहत मिलती है। जिन लोगों में खून की कमी है वे गिलोय के काढ़े का सेवन करें इससे शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
गिलोय के काढ़े के नुकसान (Side effects of Giloy decoction in hindi)
गिलोय के काढ़े का सेवन से उन लोगों को बचना चाहिए जिन्हें कम मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या है क्योंकि गिलोय डायबिटीज को कम करता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करने वाले छोटे शिशु को गिलोय के काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए। जो लोग किसी विशेष बीमारी से ग्रस्त है वे गिलोय के काढ़े का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं ? (Giloy ka kadha kaise banaye)
गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए गिलोय के छोटे-छोटे पांच टुकड़े, दो कप पानी, एक चम्मच हल्दी, एक छोटा टुकड़ा अदरक, 6-7 तुलसी के पत्ते व स्वादानुसार गुड़ ले लें यदि काढ़े का सेवन करने वाले लोगों की संख्या अधिक है तो इन सामग्रियों की मात्रा को अपने अनुसार बढ़ा भी सकते हैं।
गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में 2 कप पानी को हल्की आंच में उबाल लें। पानी उबालने के बाद उसमे गिलोय, हल्दी, अदरक, तुलसी व गुड़ डालकर धीमी आंच में पकने को रख दें। सारी सामग्रियां पानी में अच्छी तरह से पक जाए और पानी आधा रह जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा बन चुका है इसके बाद काढ़े को अच्छी तरह से छान लें और चाय की तरह पिएं।
जानें गिलोय जूस के फायदे और नुकसान – Giloy Juice।
बुखार के लिए गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं ? (Bukhar ke liye Giloy ka kadha kaise banaye)
गिलोय का काढ़ा बुखार के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। बुखार उतारने व बुखार के बाद एनर्जी पाने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करना चाहिए। बुखार में गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसल लें और मिट्टी के किसी बर्तन में 250 मिली पानी मिलाकर रख लें। उसके बाद बर्तन को अच्छी तरह ढक लें और सुबह उसके मिश्रण को मसलने के बाद छान लें और जिसको बुखार हो उसे पीला दें इससे बुखार तुरंत ही टूट जाएगा और शरीर में एनर्जी बनी रहेगी।
गिलोय का काढ़ा कब और कैसे पीना चाहिए ? (Giloy ka kadha kab aur kaise pina chahiye)
गिलोय का काढ़ा रोजाना केवल एक ही कप यानि 20 से 30 मिली ही पीना चाहिए गिलोय के काढ़े का अधिक सेवन करने से यह नुकसानदायक भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी बीमारी का शिकार है तो उसे गिलोय के काढ़े का सेवन डॉक्टर की सलाह लेकर ही पीना चाहिए। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को भी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही गिलोय के काढ़े का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा गिलोय का काढ़ा उन लोगों को भी नहीं देना चाहिए जिन्हें लो ब्लड प्रेशर व ऑटो इम्यून जैसे रोग हैं।
गिलोय का काढ़ा कितने दिन तक पीना चाहिए ? (Giloy ka kadha kitne din tak pina chahiye)
वैसे तो गिलोय का काढ़ा कई शारीरिक व मानसिक रोगों से बचाने में सहायता करता है इसीलिए इसका सेवन करते रहना चाहिए। परन्तु यदि किसी रोग को दूर करने के उद्देश्य से काढ़े का सेवन करना चाहते हैं तो नियमित रूप से गिलोय के काढ़े का सेवन करें जब तक की आप रोगमुक्त न हो जाएं।
गिलोय का काढ़ा सामान्य बुखार को जल्दी ही ठीक कर देता है परन्तु यदि बुखार बहुत पुराना हो तो गिलोय के काढ़े का सेवन अधिक समय तक किया जा सकता है। गिलोय के काढ़े की तासीर गर्म होती है इसलिए गिलोय काढ़ा कम और संतुलित मात्रा में ही पीना चाहिए, गर्मी के दिनों में रोजाना आधा कप से कम ही सेवन करें।
लीवर व पेट की अपच और अन्य पेट सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने के लिए 15 से 30 दिन तक गिलोय के काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
गिलोय का काढ़ा कितने दिन तक रख सकते हैं ? (Giloy ka kadha kitne din tak rakh sakte hain)
गिलोय का काढ़ा दो-तीन दिन तक रख सकते हैं लेकिन संभव हो तो आप रोजाना ताजा काढ़ा बनाकर ही इसका सेवन करें।
जानें थायराइड में गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy in thyroid)।