ज्ञानी वृद्ध महिला और यशोधर की कहानी हिंदी में – बहुत समय पहले की बात है एक चम्पा नामक नगर था, चम्पा नगर अपनी सुन्दरता के लिए प्रख्यात था। चम्पा नगर में एक धनवान व्यक्ति प्रताप सिंह रहते थे जिनका बहुत सुन्दर महल था।
प्रताप सिंह के महल में एक यशोधर नाम का नौकर काम करता था, जो प्रताप सिंह के महल की देखभाल किया करता था। यशोधर कई सालों से प्रताप सिंह के महल की देखभाल करता था इसलिए प्रताप सिंह यशोधर पर बहुत भरोसा किया करते थे।
एक दिन किसी कारणवश प्रताप सिंह को शहर जाना पड़ा तो प्रताप सिंह अपने महल की जिम्मेदारी यशोधर को देकर चले गए। प्रताप सिंह का महल इतना सुन्दर था कि चम्पा नगर में घूमने आने वाले सभी लोग एक बार प्रताप सिंह का महल देखने जरूर जाते थे।
प्रताप सिंह के महल में बहुत सी महँगी तस्वीरें और मूल्यवान वस्तुएँ थी, जिस कारण नौकर यशोधर अपने मालिक प्रताप सिंह से बिन पूछे किसी भी व्यक्ति को महल के अंदर प्रवेश नहीं करने देता था।
चम्पा नगर में रोज ही बहुत सारे लोग प्रताप सिंह का महल देखने आते थे और सब लोग यशोधर से प्रताप सिंह के महल को अंदर से देखने के लिए आग्रह करते थे।
एक दिन यशोधर ने सोचा कि क्यों न मैं सब लोगों को खुद ही प्रताप सिंह के इस महल के अन्दर घुमा लिया करूँ, जिससे मैं सब पर नजर रख सकूंगा ताकि कुछ सामान कोई चुरा ना ले और घुमाने के बदले मैं कुछ मूल्य भी सभी लोगों से ले लिया करूँगा।
कुछ दिन बाद ही यशोधर ने लोगों को प्रताप सिंह के महल में घुमना शुरु कर दिया। यशोधर बहुत खुशी से सभी लोगों को अपने महल में घुमाता था और सभी लोग यशोधर को उसके मुँह मांगे मूल्य भी दे दिया करते थे।
प्रताप सिंह का महल बहुत बड़ा था और एक दिन में ही बहुत लोग घुमने आ जाते थे और यशोधर को सबको घुमना पड़ता था जिस कारण वह बहुत थक जाता था।
हालांकि यशोधर को इस काम से बहुत लाभ भी हो रहा था, यशोधर अब थोड़ा अमीर हो गया था। कई महीनों तक यशोधर मन लगाकर अपना कार्य करता रहा परंतु अब यशोधर का मन अपने काम में नहीं लग रहा था।
एक दिन की बात है प्रताप सिंह का महल देखने के लिए कुछ लोग आए थे और यशोधर ने उन लोगों को महल में घुमाना शुरू किया, परंतु यशोधर ने घूमने वाले लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं किया इसलिए सब लोग बिन पूरा महल देखे ही चले गए।
जब सब लोग लौटने लगे तो एक व्यक्ति यशोधर से बोला-अरे यशोधर तुम्हें आज क्या हुआ है तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो? पहले तो तुम ऐसा व्यवहार नहीं करते थे?
मैं कुछ समय पहले भी तुम्हारा महल देखने आया हूँ, तुम उन दिनों तो बहुत खुशी और उत्साह से अपना महल घुमाते थे फिर आज यशोधर तुम ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हो?
यशोधर ने उस व्यक्ति से उसका नाम पूछा – उस व्यक्ति ने अपना नाम राजू बताया।
फिर यशोधर राजू से बोला – राजू भाई मैं इसलिए उदास हूँ क्योंकि लोगों को घुमाने में मैं थक जा रहा हूँ तो मेरा मन मेरे कार्य में नहीं लगता है।
जिस कारण मैं घूमने आने वाले व्यक्तियों से भी अच्छा व्यवहार नहीं कर पा रहा हूँ और लोगों ने महल घूमने आना भी कम कर दिया है जिससे मेरा बहुत नुकसान होने लगा है।
राजू यशोधर से बोला – यशोधर तुम परेशान ना हो। मैं तुम्हें एक ज्ञानी वृद्ध महिला का पता बताता हूँ तुम उन ज्ञानी वृद्ध महिला के पास जाओ तुमको अवश्य ही उन वृद्ध महिला से कुछ ज्ञान प्राप्त होगा जिससे यशोधर तुम अपने कार्य में मन लगा पाओगे।
फिर यशोधर ने राजू से उन वृद्ध महिला का पता पूछा और वृद्ध महिला के पास चले गया। जब यशोधर उन वृद्ध महिला के पास पहुँचा तो यशोधर ने देखा वृद्ध महिला अपने छोटे से घर में बैठकर फूलों की माला बना रही है।
यशोधर ने वृद्ध महिला के घर के दरवाजे से वृद्ध महिला को आवाज लगाई परंतु वृद्ध महिला ने नहीं सुना।
फिर यशोधर ने प्रतीक्षा की और कुछ देर में फिर से आवाज लगाई परन्तु वृद्ध महिला ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की। बहुत देर तक वृद्ध महिला के यशोधर की आवाज पर प्रतिक्रिया ना करने से यशोधर और भी ज्यादा गुस्सा हो गया।
यशोधर गुस्से में गरीब महिला के घर के अन्दर चले गया और वृद्ध महिला के पास रखे कुछ बर्तनों को जोर-जोर से पटकने लगा जिससे वृद्ध महिला यशोधर की तरफ देखे, परंतु वृद्ध महिला ने एक पल के लिए भी अपना कार्य करना नहीं छोड़ा।
यह देखकर यशोधर थक-हार कर झुंझलाया हुआ वहीं बैठ गया और गरीब महिला के कार्य के समाप्त होने का इन्तज़ार करने लगा।
कुछ समय बाद जब गरीब महिला का कार्य पूरा हुआ तो गरीब महिला ने यशोधर की तरफ देखा और बोली बेटा तुम कौन हो? तुम यहाँ क्यों आए हो?
यशोधर गुस्से में गरीब महिला से बोला – मेरा नाम यशोधर है और मैं यहाँ आपसे कुछ ज्ञान प्राप्त करने आया था, परंतु आप तो इस छोटे से फूलों की माला बनने कार्य में इतने ध्यान से लगी हुई थी कि मेरे इतनी आवाज लगाने और बर्तनों से शोर करने पर भी अपना कार्य नहीं छोड़ रही थी।
वृद्ध महिला मुसकुराई और बोली – बेटा यशोधर ज्ञान तो मैं तुम्हें पहले ही दे चुकी हूँ।
यशोधर वृद्ध महिला से बोला – आप यह क्या कह रही हैं आप तो अभी तक अपना फूलों की माला बनाने का कार्य कर रही थी और मुझसे तो बस अभी बात करना शुरू किया है।
वृद्ध महिला यशोधर से बोली – यशोधर कोई भी कार्य छोटा नहीं होता और मैं अपने पूरे ध्यान से अपना कार्य कर रही थी इसलिए मैंने तुम्हारी कोई आवाज नहीं सुनी। मैं अपने सभी कार्यों को अपना पूरा ध्यान लगा कर करती हूँ।
यशोधर समझ गया कि यशोधर को केवल थक जाने के कारण अपने कार्य से जी नहीं चुराना चाहिए और पूरे मन से अपना कार्य करना चाहिए।
इसके बाद यशोधर वापस महल में आ गया और फिर से अच्छे व्यवहार से सब लोगों को महल घुमाने लगा।
जब प्रताप सिंह शहर से वापस आए तो प्रताप सिंह ने देखा यशोधर बहुत मन से सभी लोगों को महल में घूमा रहा है और यशोधर ने महल में लोगों को घूमा कर जो पूँजी कमाई थी, उसे प्रताप सिंह को दे दी जिससे प्रताप सिंह बहुत खुश हो गए।
प्रताप सिंह ने यशोधर की ईमानदारी और कार्य निष्ठा को देखकर यशोधर के लिए चम्पा नगर में बहुत बड़ा घर बनवा दिया और यशोधर को बहुत धन भी दिया। अब यशोधर अपने महल जैसे बड़े घर में रहने लगा।
कहानी से शिक्षा
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने सभी कार्यों को मन लगाकर करना चाहिए। यदि हम मन लगाकर किसी कार्य को करते हैं तो उसका परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है।
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