हार्ट अटैक का मुख्य कारण क्या है और उपाय ( heart attack ka mukhya karan kya hai aur upay) : हार्ट अटैक का मुख्य कारण क्या है और उपाय यहाँ बताये गए हैं। खराब जीवनशैली से जुड़ी लापरवाही के चलते लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। हार्ट अटैक या दिल का दौरा एक गंभीर बीमारी है, जिस पर तुरंत इलाज की जरूरत होती है क्योंकि हार्ट अटैक की स्थिति को बिना उपचार के छोड़ दिया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए घातक या जानलेवा साबित हो सकता है।
मेडिकल भाषा में हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफेक्शन के रूप में जाना जाता हैं। दिल का दौरा तब पढ़ता है, जब रक्त का थक्का बनने लगता है, जिस कारण अचानक से कोरोनरी धमनी में रुकावट होने लगती हैं। कोरोनरी धमनियां रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो हृदय की मांसपेशियों को रक्त और ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करती हैं।
कोरोनरी धमनियों में रुकावट, हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह और ऑक्सीजन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देती हैं, जिससे सीने में दर्द एवं दबाव महसूस होता है, जो घातक एवं जानलेवा हो सकता है। आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से हार्ट अटैक आने के मुख्य कारणों और उपाय के बारे में।
हार्ट अटैक के मुख्य कारण (Causes of heart attack)
आहार
खान-पान की गलत आदतें जैसे जंक फूड का अधिक सेवन, अधिक तले-भुने और मसालेदार भोजन का सेवन आदि दिल के दौरे का कारण बनते है। दरअसल जंक फूड एवं तले-भुने खाद्य पदार्थों में भरपूर मात्रा में ट्रांस फैट पाया जाता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होता हैं।
आनुवंशिकी
अगर आपके परिवार में पीढ़ियों से माता-पिता या भाई- बहन का हृदय रोग का इतिहास रहा है, तो आपको दिल का दौरा या हार्ट अटैक होने की संभावना सामान्य से अधिक हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, कम उम्र में हार्ट अटैक का कारण जेनेटिक या आनुवंशिक होता है, जिसे खराब जीवनशैली और ज्यादा बढ़ा देती हैं।
आयु
वृद्ध लोगों में हार्ट अटैक का अधिक खतरा होता है, विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती हैं। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार, 45 साल की उम्र से अधिक पुरुषों और 55 साल की उम्र से ऊपर की महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।
लिंग
लिंग के अनुसार देखा जाये तो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को दिल का दौरा पड़ने की संभावना 2 से 3 गुना अधिक होती है। दरअसल महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन होता है, जिसके कारण रजोनिवृत्ति तक महिलाएं हार्ट अटैक से बची रहती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर घटता है और महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण हैं कि दिल का दौरा पड़ने की औसत आयु महिलाओं में 55 हैं, जबकि पुरुषों में 45 वर्ष।
उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक का मुख्य कारण हैं। दरअसल जब रक्तचाप बढ़ जाता है, तो शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिस कारण दिल पर अधिक दबाव पढ़ता हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।
खराब कोलेस्ट्रॉल
शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल का उच्च स्तर, हार्ट अटैक का कारण बनता हैं। दरअसल ख़राब कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपकी धमनियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता हैं, जिस कारण आपकी नसें संकीर्ण हो जाती हैं और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता हैं।
नशा
जो लोग धूम्रपान एवं मादक द्रव्यों का अधिक सेवन करते हैं, उन लोगों को दिल का दौरा पड़ने की अधिक संभावना होती है। दरअसल धूम्रपान एवं मादक द्रव्यों का सेवन, आपकी धमनियों को कठोर बनाता है और आपके ब्लड प्रेशर के स्तर को बढ़ाता है। ये सभी कारण आपके दिल के दौरे के खतरे को और ज्यादा बढ़ा देते हैं।
मोटापा
अगर आप मोटापे की समस्या से ग्रसित हैं तो इसे हल्के में न लें क्योंकि मोटापा हार्ट अटैक का प्रमुख कारण बन सकता है। दरअसल एक शोध के अनुसार, शरीर में फैट के कारण हृदय रोग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अधिक मोटापा होने से दिल पर जोर पड़ता है, जिस कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मोटापा शुगर और आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता हैं। यह सभी कारण हार्ट अटैक के जोखिम कारक हैं।
शुगर
हाई ब्लड शुगर से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से कोरोनरी धमनी संकीर्ण हो जाती हैं, जिस कारण रक्त वाहिकाओं के प्रक्रिया में रुकावट आ जाती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा शुगर के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक के समय सीने में दर्द एवं हाथ-पैर ठंडे पड़ने जैसे लक्षण दिखते नहीं हैं। ऐसे में शुगर रोगियों को साइलेंट हार्ट अटैक आता है।
मानसिक तनाव
विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार, तनाव भरे जीवन के कारण हार्ट अटैक की बीमारी कम उम्र में भी लोगों को अपना शिकार बना रही है। इसके अलावा तनाव आपके ब्लड प्रेशर के स्तर को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, जो हार्ट अटैक के पीछे एक प्रमुख जोखिम कारक है।
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हार्ट अटैक के लक्षण ( Symptoms of heart attack)
- सीने में दर्द एवं दबाव महसूस होना।
- सीने में जकड़न तथा छींक आना।
- हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द।
- सांस लेने में दिक्कत होना।
- अधिक ठंडा पसीना आना।
- दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना या कम होना।
- जी मिचलाना और पेट में दर्द होना।
- अचानक चक्कर आना।
- थकान महसूस होना।
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हार्ट अटैक से बचाव के लिए इन विशेष बातों का ध्यान दें
- नियमित रूप से व्यायाम करें। व्यायाम आपको शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
- तनाव एवं चिंता को अपने ऊपर इतना भी हावी न होने दें कि यह आपको नुकसान पहुंचाने लगे इसलिए तनाव को प्रबंधित करने के लिए मेडिटेशन यानी ध्यान करें।
- धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन करने से बचें।
- अपने ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच करवाते रहें।
- संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
- मोटापे को कंट्रोल करने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और अपने आहार पर ध्यान केंद्रित करें।
- स्वस्थ शरीर और दिल के लिए पर्याप्त नींद लें।
हार्ट अटैक का उपचार (Treatment of heart attack in hindi)
हार्ट अटैक एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी को आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है। डॉक्टर, रोगी के दिल के नुकसान को तुरंत कम करने के लिए रोगी को कई दवाओं जैसे एस्पिरिन, थ्रोम्बोलाइटिक्स, एंटीप्लेटलेट एजेंट, दर्द निवारक, स्टैटिन और बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाओं का सुझाव दे सकता हैं।
इसके अलावा हार्ट अटैक के बेहतर निदान के लिए डॉक्टरों द्वारा निम्नलिखित परीक्षण जैसे ईसीजी या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, ब्लड टेस्ट, इकोकार्डियोग्राफी, एंजियोग्राफी और कार्डियक सीटी या एमआरआई किए जा सकते हैं।
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