कच्ची हल्दी के फायदे और नुकसान : हल्दी को अंग्रेजी में (Turmeric) कहा जाता है। हल्दी की तासीर गर्म होती है। हल्दी एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल मसालों के रूप में किया जाता है। हल्दी को करकुमा लौंगा (Curcuma longa) नाम के पौधे की जड़ से प्राप्त किया जाता है। हल्दी पौधे को दक्षिण एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (Tropics region) में उगाया जाता है। भारत में हल्दी को आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र आदि राज्यों में उगाया जाता है।
कच्ची हल्दी के फायदे और नुकसान (Advantages and disadvantages of raw turmeric in hindi)
हिन्दू धर्म में हल्दी का उपयोग पूजा-अर्चना करने एवं किसी शुभ कार्य को करते समय किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी का नियमित सेवन करने से कई स्वास्थ्य फायदे होते हैं।
हल्दी के अन्य भाषाओं में नाम –
हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा (Haridra), पीता (Peeta), निशाख्या(Nishakhya), रजनी(Rajni), योषित्प्रिया(Yoshitpriya) और हट्टविलासिनी (Hattavilasini), गुजराती में हल्दा (Halda), असम में हलादी (haladhi), तमिल में मंजल (Manjal), तेलुगु में पसुपु (Pasupu), बंगाली में हलुद (Halud), पंजाबी में हलदर (Haldar), मराठी में हलद (Halade) एवं तमिल में मंजल (Manjal) के नाम से जाना जाता है। Benefits and Side effects of Kacchi Haldi in hindi.
कच्ची हल्दी के फायदे (Benefits of Raw Turmeric (Haldi) in hindi)
- कच्ची हल्दी के सेवन से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) नामक बायोएक्टिव यौगिक पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में बेहद सहायक माना जाता है। हल्दी के उपयोग से दस्त एवं अपच जैसी समस्या में राहत मिलती है।
- कच्ची हल्दी के उपयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है जिससे कई बीमारियों एवं संक्रमणों के खतरों को आसानी से कम किया है। कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले प्राकृतिक गुण की मदद से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलती है।
- कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करने से मधुमेह जैसी बीमारी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले घटक रक्त से शुगर को कम करने का कार्य करते हैं जिससे शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। मधुमेह के रोगियों को कच्चे हल्दी का सेवन करने से बहुत लाभ मिलते हैं।
- कच्ची हल्दी का उपयोग करने से रक्त को साफ करने में आसानी होती है। कच्ची हल्दी में रक्त को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं। कच्ची हल्दी का नियमित सेवन करने से रक्त से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर को बहुत फायदा मिलता है।
- कच्ची हल्दी का सेवन करने से कैंसर जैसी घातक बीमारी के खतरे से बचा जा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार कच्ची हल्दी में एंटी-कैंसर के गुण पाए जाते हैं जो शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकने का कार्य करते हैं। कच्ची हल्दी का नियमित रूप से सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर, पेट का कैंसर, अग्नाशय कैंसर एवं ब्रैस्ट कैंसर के खतरों से बचा जा सकता है।
- कच्ची हल्दी के उपयोग से गठिया जैसी समस्या में राहत मिलती है। गठिया जैसी स्थिति में जोड़ों में सूजन एवं दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कच्ची हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जिससे शरीर की सूजन को कम करने में आसानी होती है। इसके अलावा कच्ची हल्दी शरीर की प्राकृतिक कोशिकाओं को नष्ट करने वाले फ्री रैडिकल्स को खत्म करने का कार्य भी करता है जिससे गठिया के रोग में होने वाले जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है। गठिया के रोगियों के लिए कच्ची हल्दी का सेवन करना अत्यंत लाभकारी होता है।
- कच्ची हल्दी के सेवन से मोटापे की समस्या से बचा जा सकता है। कच्ची हल्दी के उपयोग से शरीर के मेटाबॉलिज्म में सुधार आता है जिससे वजन घटाने में आसानी होती है। कच्ची हल्दी वजन के साथ-साथ कमर की चौड़ाई एवं बॉडी मास इंडेक्स को भी कम करने बेहद सहायक होता है।
- कच्ची हल्दी का सेवन करने से लिवर स्वस्थ रहता है। एक अध्ययन के अनुसार कच्ची हल्दी में पाए जाने गुण लिवर की समस्याओं को दूर करने में बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करने से फैटी लिवर की समस्या से भी बचा जा सकता है।
- कच्ची हल्दी का उपयोग करने से अल्सर की समस्या से बचा जा सकता है कच्ची हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट एवं एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जिससे अल्सर की समस्या को आसानी से कम किया जा सकता है। कच्ची हल्दी पेट के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद गुणकारी मानी जाती है।
- कच्ची हल्दी के सेवन से अस्थमा जैसी बीमारी के लक्षणों को घटाया जा सकता है। कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन की मदद से श्वसन तंत्र संबंधी विकारों को नियंत्रित रखने में बहुत मदद मिलती है जिससे श्वास संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- कच्ची हल्दी को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पीने से शरीर के अंदरूनी दर्द एवं सूजन से जल्द राहत मिलती है। कच्ची हल्दी शरीर के दर्द को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा कच्ची हल्दी को पीसकर, दर्द वाले स्थान पर लेप लगाने से भी दर्द से जल्द आराम मिलता है।
- कच्ची हल्दी के इस्तेमाल से त्वचा संबंधी विकारों से छुटकारा मिलता है। कच्ची हल्दी त्वचा के घावों को जल्दी भरने में बहुत मदद करता है जिससे घाव के कारण संक्रमण का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा कच्ची हल्दी के उपयोग से कई प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है।
कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले पोषक तत्व –
कच्ची हल्दी में कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी, फैट, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, सोडियम, सेलेनियम, विटामिन C, विटामिन E, विटामिन K, सैचुरेटेड फैटी एसिड आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
कच्ची हल्दी को इस्तेमाल करने का तरीका –
कच्ची हल्दी को उबालकर, अचार बनाकर, ग्रीन सलाद में मिलाकर, गुनगुने दूध में मिलाकर एवं चाय बनाकर सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा कच्ची हल्दी का उपयोग फेस पैक बनाने में भी किया जा सकता है।
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कच्ची हल्दी के नुकसान (Losses of Raw Turmeric (Haldi) in hindi)
- कच्ची हल्दी में करक्यूमिन की अधिक मात्रा पायी जाती है जिसकी अत्यधिक मात्रा से हेयर लॉस, दिल की धड़कन का असंतुलित होना, गले में संक्रमण, हल्का बुखार एवं पेट से जुडी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- कच्ची हल्दी के अत्यधिक सेवन से किडनी में पथरी की शिकायत हो सकती है। कच्ची हल्दी में ऑक्सालेट नामक यौगिक पाया जाता है जिससे किडनी में पथरी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं को कच्ची हल्दी का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि कच्ची हल्दी की अत्यधिक मात्रा से गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान भी पहुंच सकता है।
- संवेदनशील त्वचा वाले व्यक्तियों को कच्ची हल्दी के इस्तेमाल से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है।
- अध्ययन के अनुसार कच्ची हल्दी कीमोथेरेपी को प्रभावित कर सकता है इसलिए कीमोथेरेपी के दौरान कच्ची हल्दी के सेवन से बचना चाहिए।
- कच्ची हल्दी का अत्यधिक सेवन करने से पेट संबंधी विकार जैसे दस्त और उल्टी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में दस्त व उल्टी की समस्या से जूझ रहे लोगों को कच्ची हल्दी का सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं।
- कच्ची हल्दी के अत्यधिक सेवन से मतली (जी मचलाना) जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसीलिए कच्ची हल्दी का सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए।
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