कचनार के फायदे और नुकसान ( kachnar ke fayde aur nuksan ) : कचनार गुणकारी व लाभकारी वृक्ष है, जो ज्यादातर जंगली इलाकों में पाया जाता है। साल फरवरी-मार्च के महीने में ये पेड़ पूरी तरह फूलों से लद जाता है। फूलों के रंगों में अंतर के अनुसार, कचनार की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लाल फूल वाला कचनार, सफेद फूल वाला कचनार और पीला फूल वाला कचनार लाभकारी होते हैं।
कचनार के फायदे और नुकसान (Benefits and Harms of kachnar in hindi)
कचनार के खूबसूरत फूलों के साथ अद्भुत छाल और पत्तियां भी काफी लाभकारी होती हैं। कचनार की छाल के रेशों से रस्सी भी बनाई जाती है और कई लोग कचनार की पत्तियों का साग बनाकर भी खाते हैं इतना ही नहीं, कचनार के फूलों का रायता भी बनाया जाता है, जो खाने में स्वादिष्ट होने के साथ अच्छी सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है।
स्वामी रामदेव के अनुसार, कचनार एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका सेवन कई शारीरिक बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। कचनार के फूल से लेकर छाल, पत्ते और जड़ों तक का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
दरअसल कचनार में पाए जाने वाले औषधीय गुण, कई शारीरिक बीमारियों जैसे डायबिटीज, लिवर के रोग, खांसी, सोरायसिस, पेट का कैंसर, सांप का काटना, डायरिया और थायराइड जैसी अन्य शारीरिक बीमारियों के लक्षणों को कम करने व उनसे बचाव करने में मदद करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।
लेकिन कचनार का अधिक मात्रा में सेवन कुछ शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है इसलिए कचनार का सेवन करने से पहले, आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से कचनार के फायदे और नुकसान के बारे में।
कचनार के अन्य भाषाओं में नाम
कचनार को हिंदी में कचनार, कञ्चनार व गोरिआल, संस्कृत में गण्डारि, शोणपुष्पक व युग्मपत्रक, गुजराती में चम्पाकाटी व काञ्चनार, तमिल में सिगप्पुमुन्दरई, बंगाली में रक्तकाञ्चन व काञ्चन, मराठी में कोरल व रक्त काञ्चन और नेपाली में कोईरालो व ताकी कहा जाता है।
कचनार के औषधीय गुण
कचनार में एंटीडायबिटिक, एंटी-मलेरियल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-कैंसर, एंटी-फंगल, लैक्सेटिव, लिवर टॉनिक, एंटी-अल्सर और एंटीडोट जैसे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं।
कचनार के इस्तेमाल का तरीका
एक दिन में कचनार का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिए –
- पत्ते का रस- 12-24 मिली
- चूर्ण- 3-6 ग्राम
- काढ़ा- 50-100 मिली
कचनार के फायदे ( Benefits of Kachnar in hindi )
- कचनार का सेवन खून में मौजूद अशुद्धियों को दूर करता है। इसके लिए आप कचनार के फूल या फिर छाल का काढ़ा बना लें और 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके शहद मिला लें, अब इस काढ़े का दिन में दो बार सेवन करें। इसके नियमित सेवन से खून साफ होता है।
- मासिक धर्म के दौरान होने वाले अधिक रक्तस्राव की समस्या को कम करने के लिए कचनार के फूलों से बने काढ़े का सेवन करें। अधिक रक्तस्राव होने पर दिन में दो बार 20 मिली काढ़ा का सेवन करें।
- सिर दर्द होने पर लाल कचनार का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। लाल कचनार की छाल को पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
- दांतों की समस्या को दूर करने के लिए कचनार की सूखी टहनियों को जलाकर राख बना लें और इस राख या कोयले से दांतों पर मंजन करें। यह दांतों की समस्या को ठीक करने में मदद करता है।
- पेशाब में खून आने की समस्या को दूर करने के लिए कचनार के फूल का काढ़ा बनाकर पिएं। इसके लिए आपको कचनार के फूल से बने काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना हैं।
- कब्ज की समस्या से परेशान लोगों को कचनार की कलियों से बने गुलकन्द का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आपको गुलकन्द 5-10 ग्राम की मात्रा में खाना है, यह कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होता है।
- मुंह में छाले की समस्या को दूर करने के लिए कचनार वृक्ष की छाल और अनार के फूल का काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े से कुल्ला करें यह मुंह के छाले को ठीक करने में मदद करता है।
- पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इस घरेलू उपचार को करने से पहले, आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
- खांसी की समस्या के दौरान कचनार फूल का काढ़ा बनाकर पियें। खांसी में आराम पाने के लिए इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।
- मसूड़ों में दर्द होने पर कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करें। गरारा करने से मसूड़ों में होने वाली दर्द में आराम मिलता है।
- पेट की गैस की परेशानी को दूर करने के लिए 20 मिली कचनार की जड़ के काढ़ा में 2 ग्राम अजवाइन चूर्ण डालकर पिएं। इस काढ़े को पीने से गैस की समस्या जल्द ही दूर हो जाती है।
- महिलाओं को होने वाली ल्यूकोरिया बीमारी में कचनार का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए आप 1-2 ग्राम कचनार फूल की कली का चूर्ण बना लें और इस चूर्ण का सुबह-शाम सेवन करें यह ल्यूकोरिया रोग को दूर करने में सहायक होता है।
- घाव वाले स्थान पर कचनार छाल को पीसकर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। इसके अलावा कचनार का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव सुख जाता है।
- पाचन स्वास्थ्य के लिए कचनार की 10-20 ग्राम जड़ का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पियें। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ व मजबूत बनाये रखने में सहायक होता है।
- रक्तपित्त यानी नाक-कान आदि से खून निकलने की समस्या को दूर करने के लिए आप कचनार के फूलों से बनी सब्जी का सेवन करें। इसके सेवन से नाक-कान आदि अंगों से खून बहना बंद हो जाता है।
- भूख न लगने की समस्या में कचनार का सेवन करें। कचनार में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने वाले गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के विकार को दूर करते है और भूख को बढ़ाते हैं।
- कचनार की छाल में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकने में मदद करते है और कैंसर से बचाव करने में सहायक होते हैं।
- पीलिया की परेशानी होने पर कचनार के पत्तों का सेवन करें। इसके लिए आप कचनार के पत्तों का पेस्ट बना लें और इसके बाद इस पेस्ट का सेवन 1 गिलास दूध के साथ करें। यह पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
- दस्त या पेचिश की परेशानी होने पर कचनार का सेवन करें। इसका स्वाद कसैला और ठंडा होता है, जो दस्त की परेशानी को कम करता है। यदि दस्त में ब्लड आ रहा है, तो इसके सेवन से आपकी यह परेशानी भी दूर हो सकती है।
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कचनार के नुकसान ( Harms of Kachnar in hindi )
- कुछ लोगों को कचनार के सेवन से एलर्जी की समस्या हो सकती है इसलिए किसी भी व्यक्ति को कचनार के सेवन से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती है, तो वह व्यक्ति कचनार का सेवन करने से बचें।
- कचनार का अधिक मात्रा में सेवन, पेट में गैस, स्किन पर रैशेज और खुजली आदि समस्याओं का कारण बन सकता है।
- गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कचनार का सेवन करने से पहले, डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- कुछ लोगों को कचनार के टेस्ट या स्वाद से उल्टी की समस्या हो सकती है।
- अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करता हैं तो वह व्यक्ति कचनार का सेवन करने से पहले, डॉक्टर से सलाह ले।
आवश्यक सूचना
अगर कोई व्यक्ति बीमारी के इलाज के रूप में कचनार का सेवन करता है, तो वह व्यक्ति कचनार का सेवन करने से पहले, आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
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