टुनटुन की सुन्दरता

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टुनटुन की सुन्दरता

टुनटुन की सुन्दरता की कहानी हिंदी में – बहुत समय पहले की बात है एक बहुत बड़ा जंगल था और जंगल में बहुत सारे विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी रहते थे, जंगल में पानी के लिए एक बहुत बड़ा जलाशय था और जंगल के इस जलाशय में बहुत सारी सुन्दर मछलियाँ रहा करती थी।

जंगल के जलाशय में एक मछली सबसे थी जिसका नाम टुनटुन था, टुनटुन बहुत भोली थी जिस कारण टुनटुन सबकी बातों में आसानी से भरोसा कर लेती थी टुनटुन हमेशा पानी के बाहर की तरफ़ देखती रहती क्योंकि टुनटुन भी पानी के बाहर की दुनिया में जाना चाहती थी।

टुनटुन दिन भर जलाशय में घूमती एवं खेलती रहती थी। टुनटुन सबसे छोटी मछली थी और जलाशय में लगभग सभी मछलियाँ टुनटुन से बड़ी थी जिस कारण टुनटुन को बड़ी मछलियाँ अपने संग नहीं रखती थी।

बड़ी मछलियाँ टुनटुन से कहती थी कि तुम तो छोटी मछली हो तुम्हारा हम बड़ों के साथ क्या काम और बड़ी मछलियाँ टुनटुन को अकेला छोड़ कर चली जाती थी।

जंगल के जलाशय में एक चालाक जंगली बिल्ली भी पानी पीने आती थी। एक दिन जंगली बिल्ली हमेशा की तरह जलाशय में पानी पीने आई तो जंगली बिल्ली ने देखा एक छोटी मछली जलाशय में अकेली खेल रही है तो उस जंगली बिल्ली ने उस छोटी मछली को आवाज लगाई और कहा- अरे छोटी मछली तुम्हारा नाम क्या है और तुम अकेले क्यों खेल रही हो? तुम्हारे दोस्त कहाँ हैं?

टुनटुन जलाशय में थोड़ा ऊपर आती है और बोलती है – मेरा नाम टुनटुन है और मेरा कोई दोस्त नहीं है इसलिए मैं अकेले ही खेलती हूँ। यह सुनकर जंगली बिल्ली ने सोचा टुनटुन हमेशा अकेली रहती है इसलिए टुनटुन का शिकार आसान होगा परन्तु मैं इसे तब खाऊँगी जब मुझे कोई शिकार नहीं मिलेगा और वैसे भी टुनटुन बहुत छोटी है इससे मेरा पेट नहीं भरेगा।

जंगली बिल्ली ने टुनटुन से कहा – टुनटुन मेरा भी कोई दोस्त नहीं है, टुनटुन क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?

टुनटुन जंगली बिल्ली से बोलती है – मैं तो एक मछली हूँ और तुम एक जंगली बिल्ली फिर हम दोस्त कैसे हो सकते हैं?

जंगली बिल्ली टुनटुन से बोलती है – मैं मछलियों को नहीं खाती हूँ और अगर तुम मेरी दोस्त बनोगी तो मैं अपनी दोस्त को कैसे खा सकती हूँ।

टुनटुन जैसे इस जलाशय में तुम अकेली खेलती हो क्योंकि तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है वैसे ही इस जंगल में मेरा भी कोई दोस्त नहीं है और मुझे अकेले खेलना पड़ता है इसलिए मैं तुमसे दोस्ती करना चाहती थी परन्तु तुम तो मुझ पर शक कर रही हो तो कोई बात नहीं मैं अकेली ही रह लूंगी।

यह कहकर जंगली बिल्ली रोने का नाटक करते हुए जंगल की तरफ जाने लगती है। यह सब टुनटुन बहुत ध्यान से देख रही थी और टुनटुन को लगा शायद यह बिल्ली सच में मुझसे दोस्ती करना चाहती है।

इसलिए उसी वक़्त टुनटुन ने जंगली बिल्ली को आवाज लगाई और कहा – बिल्ली बहन मैंने तो बस पूछा कि एक बिल्ली और मछली की दोस्ती कैसे हो सकती है ? मैं कोई शक नहीं कर रही थी और मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूँ और फिर जंगली बिल्ली और टुनटुन की दोस्ती हो गई।

अब जंगली बिल्ली जब भी जलाशय के पास पानी पीने जाती जंगली बिल्ली टुनटुन से बहुत बातें करती और टुनटुन के साथ खेलती रहती। टुनटुन यह सब देखकर बहुत खुश होती और धीरे-धीरे टुनटुन जंगली बिल्ली को सबसे अच्छा दोस्त मानने लगी।

जंगली बिल्ली को पता था टुनटुन अब जंगली बिल्ली पर बहुत भरोसा करने लगी है इसलिए जंगली बिल्ली टुनटुन की झूठी प्रशंसा करती और बाकी मछलियों के विरुद्ध टुनटुन को भड़काती रहती थी।

जंगली बिल्ली हमेशा टुनट्न की सुन्दरता की तारीफ करती थी, जिस कारण टुनटुन को स्वयं पर घमंड हो गया था। टुनटुन स्वयं को सबसे सुन्दर समझने लगी और टुनटुन अब अपने घमंड में दूसरी मछलियों का तिरस्कार करने लगी।

धीरे-धीरे वक़्त के साथ टुनटुन भी बड़ी हो गई थी और अब सर्दियों का मौसम शुरू हो गया था। एक दिन की बात है जंगली बिल्ली को कोई शिकार नहीं मिल रहा था तो जंगली बिल्ली ने सोचा आज टुनटुन को ही शिकार बना लेती हूँ वैसे भी अब टुनटुन बड़ी हो गई है, टुनटुन को खाने में बहुत मजा आएगा।

फिर जंगली बिल्ली जलाशय में पानी पीने के लिए चली गई और कुछ देर में टुनटुन भी जंगली बिल्ली के पास आ गई। जंगली बिल्ली टुनटुन से बोली – टुनटुन जैसे-जैसे तुम बड़ी हो रही हो तुम तो और सुन्दर होती जा रही हो, इस जलाशय में तो टुनटुन कोई भी मछली तुमसे सुन्दर नहीं है।

टुनटुन यह सुनकर बहुत खुश हो गई, थोड़ी देर में जंगली बिल्ली फिर बोली – परन्तु शायद इस जंगल के जलाशय के अतिरिक्त जो जलाशय है उस जलाशय की मछलियाँ तुमसे सुन्दर हो सकती हैं। यह सुनते ही टुनटुन घमंड से गुस्से में बोली – नहीं मुझसे सुन्दर तो कोई मछली हो ही नहीं सकती और जंगली बिल्ली इस जंगल में तो यही एक मात्र जलाशय है फिर तुम किस जलाशय की बात कर रही हो?

जंगली बिल्ली टुनटुन से बोली – टुनटुन यहाँ से थोड़ी ही दूर बहुत बड़ा जलाशय है शायद तुम कभी इस जलाशय से बाहर नहीं गई इसलिए तुम्हें नहीं पता है। उस जलाशय में बहुत सी मछलियाँ रहती हैं अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपने मुँह से पकड़ कर उस जलाशय तक ले जा सकती हूँ फिर तुम अपने इस सुन्दर रुप से साबित कर देना कि कोई भी मछली टुनटुन से सुन्दर नहीं है।

यह सुनकर टुनटुन का घमंड और ज्यादा हो गया, टुनटुन जल्दी से जंगली बिल्ली से बोली – हाँ, जंगली बिल्ली तुम मुझे जल्दी से उस जलाशय में ले चलो फिर टुनटुन जंगली बिल्ली के बहुत पास चली गई और जंगली बिल्ली ने झपटकर टुनटुन को खा लिया।

कहानी से शिक्षा

हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा हमसे अच्छी बात करने वाले व्यक्ति हमारे लिए अच्छा सोचने वाले ही हों ऐसा जरुरी नहीं है इसलिए कोई भी कार्य किसी की बातों में आकर नहीं करना चाहिए। हमें हर कार्य हमेशा हमारी सूझबूझ से करना चाहिए और हमें इस कहानी से यह शिक्षा भी मिलती है कि कभी भी इतना घमंड नहीं करना चाहिए कि हमें अपने घमंड के अलावा कुछ और दिखाई ही ना दे।

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