प्रेरक कहानी ‘व्यर्थ की बात और सुकरात – प्रेरक कहानी’ – बच्चों के लिए प्रेरक कहानियां, प्रेरणादायक हिंदी कहानियां pdf शिक्षाप्रद कहानियां, ज्ञानवर्धक कहानियाँ, मजेदार कहानीयाँ, अच्छी अच्छी कहानियां पढ़ने आप हमारी वेबसाइट पर आते हैं तो आज हम आपको ‘व्यर्थ की बात और सुकरात – प्रेरक कहानी’ (motivational story for kids in hindi) सुनाने जा रहे हैं।
व्यर्थ की बात और सुकरात – हिंदी प्रेरक कहानी
सुकरात एक विख्यात यूनानी दार्शनिक था, जिनके बारे में हम में से कई लोग जानते होंगे। एक बार की बात है सुकरात अपने किसी काम में व्यस्त थे तभी उनके पास उनका एक जानकार आया और बोला की सुकरात जी मैं आपको आपके मित्र के बारे में कुछ बताने आया हूँ जो मैंने अभी सुना है।
यह सुन सुकरात ने कहा कि जरा रुक जाओ और मुझे बताने से पहले क्यों न कुछ परिक्षण कर लिया जाये। पहले मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर मुझे सही-सही दीजिये तब मैं तय करूँगा की मुझे आपकी बात सुननी है या नहीं।
यह सुन वह व्यक्ति बोला ठीक है आप अपने सवाल पूछें।
सुकरात ने पूछा मेरा पहला सवाल है कि जो बात आप सुनकर आये हैं क्या आप यह पुष्टि कर सकते हैं कि वह बात एक दम सत्य है ?
यह सुन वह व्यक्ति बोला नहीं मैं सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता हूँ लेकिन ….
न न न इस से पहले की वह व्यक्ति कुछ और बोलता सुकरात ने उसे रोक दिया और बोले कि इसका मतलब तो यह हुआ की जो बात तुम सुनकर आये हो तुम उस बात के लिए पूर्णतः आश्वस्त नहीं हो अर्थात तुम यह नहीं बता सकते की जो तुमने सुना है वह बात सत्य है या असत्य।
अच्छा अब मेरा अगला सवाल यह है कि जो आप मेरे मित्र के बारे में बताने जा रहे हो क्या वह कोई अच्छी बात है या नहीं ?
यह सुन वह व्यक्ति बोला की नहीं पर …..
इस पर सुकरात ने उसे रोकते हुए कहा कि रुक जाओ इसका अर्थ तो यह हुआ कि यह कोई बुरी बात है यानि की इसमें कोई अच्छाई या भलमनसाहत की बात नहीं है।
अच्छा तो मेरा आखिरी सवाल का जवाब दो जो बात आप मुझे बताने आये हो क्या वो बात मेरे काम की है ?
यह सुन वह व्यक्ति बोला नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन …..
तो फिर इतना ही काफी है कृप्या मुझे वह बात न बताएं क्योंकि “जो बात न सत्य है, न उसमें कोई अच्छे या भलाई की बात है और न ही मेरे काम की बात है, मैं ऐसी बात जानकर क्या करूँगा। मैं बेवजह और बिना सर पैर की फालतू बात सुनने में और उसकी बारे में सोचने में अपना कीमती समय नहीं व्यर्थ करना चाहता हूँ”
यह बात सुन वह परिचित व्यक्ति अपना मुँह लटकाकर वहां से चला गया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें ऐसी बातें सुनने या करने में अपना किमती समय नहीं नष्ट करना चाहिए जिनका हमारे जीवन से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध न हो बल्कि हमें सदैव ज्ञान वर्धक और अच्छी और सकारत्मक बातों पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपने कीमती समय का सदुपयोग करना चाहिए।
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