तालमखाना के फायदे : ( Talmakhana ke fayde ) तालमखाना के फायदे कई होते हैं, तालमखाना औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है, जिसे कोकिलाक्ष भी कहा जाता हैं। तालमखाना का पौधा तालाब, नदियों के आस-पास और गीली मिट्टी वाले जैसे स्थानों पर पाया जाता हैं। तालमखाने के औषधीय गुणों के कारण प्राचीन काल से ही तालमखाने का उपयोग सेक्स संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए किया जा रहा है।
तालमखाना विशेष रूप से पुरुषों के काम शक्ति बढ़ाने और स्पर्म काउन्ट यानी शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने में बहुत असरदार रूप से कार्य करता हैं। इसके अलावा तालमखाना का उपयोग सूजन, गठिया, मूत्र रोग, मधुमेह, पेट का फूलना, पीलिया और रक्तदोष जैसी बीमारियों से बचाव एवं रोकथाम के लिए भी किया जाता हैं। आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से तालमखाना के फायदे के बारे में।
तालमखाना के अन्य भाषाओं में नाम
तालमखाना को हिंदी में तालमखाना व जुलीआकाण्टा, संस्कृत में कोकिलाक्ष, पंजाबी में तालमखाना, गुजराती में एखरो, तमिल में निरमुल्ली और बंगाली में कुलियाखारा कहा जाता हैं।
तालमखाना में पाए जाने वाले पोषक तत्व
तालमखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, पानी, आयरन, सोडियम और फास्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।
तालमखाना के सेवन का तरीका
तालमखाना की जड़, पत्ता, बीज का सेवन किया जाता है। लेकिन किसी बीमारी के इलाज के लिए तालमखाना का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें ।
तालमखाना के फायदे ( Benefits of Talmakhana in hindi )
- दस्त होने पर तालमखाने का सेवन करने से दस्त की समस्या में फायदा मिलता हैं, दरअसल आयुर्वेद के अनुसार, दस्त के दौरान तालमखाने के बीज का चूर्ण दही के साथ खाने से दस्त की समस्या में आराम मिलता है।
- अगर कोई व्यक्ति पेशाब से जुड़ी समस्याओं जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय जलन होना या पेशाब करते समय दर्द होना आदि पेशाब संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहता हैं तो वह व्यक्ति तालमखाना, गोखरू और अरंड की जड़ को पीसकर दूध में मिलाकर पीएं। इसे पीने से पेशाब संबंधी विकारों को दूर करने में मदद मिलती हैं।
- तालमखाने में पाए जाने वाले औषधीय गुण, मधुमेह से बचाव एवं रोकथाम करने में सहायक होते है। इसके लिए मधुमेह से पीड़ित रोगी तालमखाने के बीजों से बने काढ़े का सेवन करें। तालमखाने के बीजों से बने काढ़े का सेवन करने से रक्त में मौजूद शुगर का स्तर नियंत्रित रहता हैं।
- अगर किसी व्यक्ति को अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या हैं, तो वह व्यक्ति तालमखाना की जड़ को पानी में उबालकर, उस पानी का सेवन करें। इस पानी का सेवन करने से अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती हैं।
- पीलिया से बचाव एवं रोकथाम के लिए तालमखाना का सेवन करना फायदेमंद होता है। पीलिया से पीड़ित रोगियों को तालमखाना के पत्तों का काढ़ा बनाकर, 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
- अगर किसी व्यक्ति को सांस संबंधी बीमारी है या किसी कारणवश सांस लेने में समस्या हो रही है, तो वह व्यक्ति तुरन्त आराम पाने के लिए तालमखाने का सेवन करें। सांस संबंधी बीमारी होने पर आप 2-4 ग्राम तालमखाना का चूर्ण बनाकर शहद तथा घी में मिलाकर खाएं।
- किडनी स्टोन से पीड़ित रोगियों को तालमखाने का सेवन करना चाहिए क्योंकि तालमखाने में मूत्रल गुण पाए जाते हैं, जो मूत्र की मात्रा को बढ़ाकर मूत्रमार्ग द्वारा शरीर से पथरी को बाहर निकालने में सहायक होते हैं।
- आजकल की असंतुलित जीवनशैली और आहार का बुरा प्रभाव सेक्स लाइफ पर पड़ रहा है, जिस कारण सेक्स संबंधी समस्याएं होने लगी हैं। तालमखाने का सेवन सेक्स लाइफ को बेहतर बनाता है। वाजीकरण गुणों की वृद्धि यानी सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए आप तालमखाने के 2-4 ग्राम फल चूर्ण में शर्करा मिलाकर गर्म दूध के साथ पीएं।
- अगर कोई व्यक्ति कमर दर्द से परेशान हैं तो वह व्यक्ति तालमखाना के पत्तों को पीसकर लेप बना लें और इस लेप को कमर या जोड़ो पर लगाने से दर्द में असरदार रुप से आराम मिलता है।
- तालमखाना में दर्द एवं सूजन को कम करने वाले औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो गठिया के दौरान होने वाली जोड़ों में दर्द एवं सूजन को कम करने में मदद करते है। गठिया में शीघ्र लाभ पाने के लिए तालमखाने और गुडूची को समान मात्रा में मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर पीएं।
- अगर आप मौसम बदलाव के कारण खांसी की समस्या से परेशान है, तो आप घरेलू उपचार के रूप तालमखाना का सेवन कर सकते हैं। खांसी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप तालमखाने के पत्तों का चूर्ण बनाकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करें।
- जलोदर रोग यानी पेट में जल या प्रोटीन द्रव्य के ज्यादा हो जाने के कारण पेट फूल जाता है और पेट में दर्द होने लगता है। ऐसी परेशानी में तालमखाने का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। जलोदर रोग होने पर तालमखाना की जड़ का काढ़ा बनाकर पीएं।
- तालमखाना पुरुषों के काम शक्ति बढ़ाने और शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने में बहुत असरदार रूप से काम करता है। शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने के लिए तालमखाने के बीज का चूर्ण बना लें और इसमें समान मात्रा में सफेद मूसली चूर्ण तथा गोखरू चूर्ण मिला लें। इस चूर्ण का सेवन रोजाना 2-4 ग्राम दूध के साथ करें।
- अगर कोई व्यक्ति रक्त संबंधी बीमारियों से परेशान हैं तो उनके लिए तालमखाना बहुत फायदेमंद हैं। रक्त संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आप 1-2 ग्राम तालमखाना के बीज के चूर्ण का सेवन पानी के साथ करें।