दस्त लगने के कारण और उपाय ( dast lagne ke karan aur upay ) : दस्त लगने के कारण और उपाय यहाँ बताये गए हैं, दस्त पाचन तंत्र संबंधित एक विकार है, जो बैक्टीरिया, परजीवी या वायरस संक्रमण के कारण होता है इसलिए दस्त की समस्या तब होती है, जब आंत बैक्टीरिया, परजीवी या वायरस से संक्रमित हो जाती है।
इस दौरान बड़ी आंत पानी को अवशोषित करने में असफल हो जाती है, जिस कारण पानी मल त्याग के जरिए बाहर निकल जाता है यानी गुदा मार्ग से पानी की तरह बार-बार मल का बाहर निकलना दस्त कहलाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में वात, पित्त, कफ दोष के असंतुलित हो जाने के कारण शरीर की पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है, जिस कारण खाया हुआ खाना अच्छे से पच नहीं पाता और बिना पचा हुआ खाना पतला होकर मल के रास्ते बार-बार बाहर निकलने लगता है इसलिए आमतौर पर जब भी किसी व्यक्ति को दस्त होते हैं, तो वह व्यक्ति सबसे पहले दवाई का सेवन कर दस्त पर नियंत्रण पाने की कोशिश करता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि दस्त रोकने के कई घरेलू उपाय हैं, जिनका उपयोग कर, आप दस्त पर तुरंत नियंत्रण पा सकते हैं। आइए विस्तार में जाने हमारे इस आर्टिकल से दस्त लगने के कारण और उपाय के बारे में।
दस्त लगने के कारण ( Causes of Loose Motion (Diarrhea) in hindi )
- दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से पाचन क्रिया में संक्रमण हो जाता है, जिस कारण दस्त की समस्या पैदा होती है।
- रात का बचा हुआ बासी भोजन का सेवन, दस्त का कारण बन सकता है। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा खाना खा लेने के कारण भी दस्त हो जाते हैं।
- जंक फूड जैसे समोसा, पिज्जा, बर्गर और मैदे एवं बेसन से बनी हुई चीजों का अधिक सेवन, दस्त का कारण बन सकता है।
- कई बार ज्यादा देर तक मल को रोकने से दस्त की समस्या पैदा हो जाती है।
- अधिक तनाव लेने की वजह से भी पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, जो दस्त का कारण बनता है।
- शराब का अधिक सेवन करने से दस्त की समस्या हो सकती है।
- सामान्य से अधिक मात्रा में पानी पीने के कारण भी दस्त की समस्या पैदा हो सकती है।
- बहुत ज्यादा तेल एवं मिर्च-मसाले वाले भोजन का सेवन, दस्त का कारण बनता है।
दस्त के लक्षण ( Symptoms of Loose Motion in hindi )
- दस्त के दौरान रोगी को बुखार होना।
- रोगी के पेट में दर्द होना।
- रोगी को उल्टी का अनुभव होना।
- रोगी को सामान्य से अधिक प्यास लगना।
- रोगी के मल में खून आना।
- रोगी को वजन घटने का अनुभव होना।
- रोगी निर्जलित हो सकता है।
- रोगी को थकान एवं सुस्ती महसूस होना।
दस्त के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- दस्त के दौरान रोगी व्यक्ति के शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी आ जाती है इसलिए रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को फाइबर से भरपूर भोजन एवं फल के सेवन से बचना चाहिए, इसके अलावा बाहर की बनी हुई चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए।
- दस्त के दौरान रोगी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का शारीरिक व्यायाम नहीं करना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को ज्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए और समय पर खाना खा लेना चाहिए।
- दस्त के दौरान रोगी व्यक्ति को डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, चीज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को रात में समय पर सो जाना चाहिए क्योंकि देर रात तक जागने के कारण शरीर में उपस्थित दोष संतुलित नहीं हो पाते हैं।
- दस्त के दौरान रोगी को उबला हुआ पानी ही पीना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को निर्धारित समय पर दवाई लेनी चाहिए क्योंकि निर्धारित समय पर दवाई न लेने से दोष और ज्यादा बिगड़ जाते हैं, जिस कारण दवाई फायदा नहीं करती हैं।
दस्त से बचाव के लिए इन विशेष बातों का ध्यान दें
- दस्त से बचाव के लिए हमेशा संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें।
- रात का बचा हुआ बासी भोजन खाने से बचें और भोजन करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धो लें।
- सामान्य से अधिक पानी पीने से बचें और हमेशा उबला हुआ पानी या मिनरल वाटर ही पिएं।
- ज्यादा तैलीय एवं मिर्च-मसाले वाला भोजन खाने से बचें। साथ ही बाहर की चीज़ें जैसे पिज्जा, बर्गर, पेस्ट्री आदि का अधिक सेवन करने से भी बचें।
- सोफ्ट ड्रिंक या शराब का अधिक सेवन करने से बचें।
- तनाव को दूर करने के लिए व्यायाम करें। व्यायाम आपको शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होता है।
दस्त की रोकथाम के लिए घरेलू उपाय ( Home Remedies for Loose Motion in hindi )
पानी या इलेक्ट्रॉल
दस्त होने पर रोगी के शरीर से पानी के साथ-साथ जरूरी मिनरल्स भी बाहर निकलने लगते हैं, जिस कारण रोगी के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है इसलिए दस्त होने पर आप सबसे पहले इलेक्ट्रॉल पाउडर को पानी में घोलकर पिएं। इलेक्ट्रॉल पाउडर, शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी को दूर कर, शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉल न होने पर आप 1 गिलास पानी में 1 चम्मच चीनी और चुटकी भर नमक डालकर भी पी सकते हैं।
दही
दस्त के दौरान दही का सेवन रामबाण के रूप में कार्य करता है। दरअसल दही में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया यानी एक प्रकार के अच्छे बैक्टीरिया की भरपूर मात्रा जाती हैं। प्रोबायोटिक बैक्टीरिया, शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया से लड़कर उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करते है, जिससे दस्त की समस्या ठीक हो जाती हैं। जानें दही के फायदे और नुकसान – Yogurt (Curd)।
केला
दस्त के दौरान केला खाना लाभकारी होता है दरअसल केले में मौजूद पेक्टिन, दस्त में दवा के रूप में कार्य करता हैं। इसके अलावा विशेषज्ञों के अनुसार, दस्त के दौरान अगर आप पके केले का सेवन करते हैं, तो आपको ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट यानी ओआरएस लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। जानें केले खाने के फायदे और नुकसान।
अनार
अनार में मौजूद एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण, पेट में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होते हैं और दस्त को लंबे समय तक होने से रोकते है। दस्त के दौरान दिन भर में 1 से 2 गिलास ताज़ा अनार का रस पीना चाहिए। जानें अनार के जूस के अद्भुत 9 स्वास्थ्य फायदे।
पुदीना
दस्त के दौरान पुदीने का सेवन फायदेमंद होता है, जो पेट को ठंडक प्रदान करता हैं। इसके अलावा पुदीने में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण, दस्त को रोकने में मदद करते हैं। इसके लिए आप पुदीने की पत्तियों को चबा सकते हैं या पुदीने के रस का सेवन कर सकते हैं। पढ़ें पुदीना के फायदे और नुकसान।
हल्दी
हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक गुण, पेट में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं और दस्त को रोकने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिक्स करें और इसे जल्दी से पी जाएं। आप इस मिश्रण का सेवन दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं। पढ़ें हल्दी के फायदे और नुकसान – Turmeric।
दस्त के दौरान ली जाने वाली दवा
दस्त की रोकथाम के लिए आप ओआरएस ले सकते हैं। इसके अलावा आप ओटीसी एंटीडाएरीयल, बिस्मथ सब सैलिसिलेट, एंटीकोनाल और लोपेरामाइड जैसी एंटी डाएरीयल दवाई ले सकते हैं। यह दवाइयां दस्त को रोकने में आपकी मदद करेगी।
आवश्यक सूचना
अगर किसी व्यक्ति को दस्त की गंभीर समस्या हो जाती हैं, इन घरेलू उपाय और दवाओं के बाद भी दस्त पर नियंत्रण नहीं होता है, तो वह व्यक्ति जल्द ही डॉक्टर से संपर्क करें।