बोलने वाली गुफा और चतुर सियार ( पंचतंत्र की कहानी – panchtantra ki kahaniyan ) – एक जंगल में एक शेर रहता था बरसात की वजह से उसका आराम करने का स्थान ख़राब हो गया तो वह आराम करने के लिए जगह तलाश कर रहा था, कि उसे एक बड़ी सी गुफा दिखाई दी। शेर ने अंदर देखा तो उसे उस गुफा में कोई दिखाई नहीं दिया।
शेर को लग तो रहा था कि संभवतः कोई न कोई तो इस गुफा में अवश्य रहता है, लेकिन उसे वह गुफा इतनी पसंद आई कि उसका मन उसी में रहने का करने लगा और उसने सोचा की उस गुफा में जो भी रहता होगा वह जब भी यहाँ आएगा तो वह शेर का निवाला बन जायेगा और इस तरह उसे आज शिकार के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ेगा।
वह गुफा एक सियार की थी, थोड़ी ही देर में शाम हो गई और सियार अपनी गुफा में आ गया। जैसे ही सियार गुफा में घुसने वाला तह कि उसे गुफा के बाहर शेर के पैरों के निशान दिखाई दिए। सियार बहुत होशियार था और वह सतर्क हो गया, उसे समझ आ गया कि अंदर अवश्य ही कोई शेर बैठा है और सियार शेर का शिकार नहीं बनना चाहता था।
अतः सियार ने एक चाल चली, गुफा में शेर है या नहीं, यह पता करने के लिए सियार जोर से चिल्लाया, “ओ गुफा! क्या मैं अंदर आ जाऊँ।”
यह सुन शेर चौंक गया। सियार फिर से चिल्लाया “ओ गुफा! क्या मैं अंदर आ जाऊँ।” जब कोई जवाब न मिला तो सियार फिर बोला “ओ गुफा! क्या मैं अंदर आ जाऊँ।” फिर भी कोई जवाब न आया।
इस पर सियार झुंझलाते हुए बोला “ओ गुफा! अगर तुमने रोज़ की तरह मुझसे बात नहीं की, तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा। तुम रोज तो बोलकर मुझे अंदर बुलाती हो आज भला ऐसा क्या हो गया है कि तुम कुछ बोल ही नहीं रही हो ?”
शेर ने जब सुना की सियार वहां से जाने की बात कर रहा है तो शेर ने लालच में आकर सोचा की हो सकता है यह गुफा वाकई में सियार से बात करती हो और आज शेर से डर के कारण कुछ न बोल रही हो।
ऐसा सोच शेर ने गुफा के बदले जवाब देने का निश्चय किया और शेर ने जैसे हो कुछ बोलना चाहा उसकी दहाड़ निकल गयी। शेर की दहाड़ सुनकर चतुर सियार समझ गया और जान बचाकर वहाँ से भाग गया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम अपनी बुद्धि विवेक का सही से प्रयोग करें तो हम किसी भी मुसीबत का डटकर सामना कर सकते हैं और उससे मुक्ति पा सकते हैं।